________________
4. भारतीय साधना और सूरदास, पृ० 208 5. साहित्य का साथी, पृ० 64 6. मीराबाई, पृ० 405 7. वेद कहे सरगुन के आगे निरगुरण का बिसराम ।
सरगुन-निरगुन तजहु सोहागिन, देख सबहिं निजधाम सुख दुख वहा कछू नहीं व्याप, दरसन पाठों जाम । नूरै ग्रोहन नूरै डासन, नूरै का सिरहान । कहै कबीर सुनो भई साधो सतगुरु नूर तमाम ॥
कबीर- डॉ हजारीप्रसाद द्विवेदी, पृ० 275 8. सूर और उनका साहित्य, पृ० 245
9. सूरसागर, 339 10. वही, स्कन्द 1, पद 2 11. विनयपत्रिका, 111वां पद 12. जोगिया कहां गया नेहड़ी लगाय ।
छोड़ गया बिसवास संघाती प्रेम की बाती बराय । मीरा के प्र' कब रे मिलोगे तुम बिन रह्यो न जाई ॥
मीरा की प्रेम साधना, पृ. 168 13. दिन दिन महोत्सव अति घृणा, श्री संध भगति सुहाइ । ___ मन सुद्धि श्री गुरुसेवी यह, जिणि सेव्यइ शिव सुख पाइ ।।
जैन ऐतिहासिक काव्य संग्रह -कुशल लाम-53वां पद । 14. अध्यात्म गीत, बनारसी विलास, पृ० 159-60 15. भूधरयिलास, 45वां पद पृ० 25 16. कवि विनोदीलाल-बारहमासा संग्रह, कलकत्ता, 42वां पद्य, पृ० 24; लक्ष्मीबल्लभ
नेमि-राजुल बारहमासा, पहला पद्य 17. अानन्दधन पद संग्रह, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल बम्बई, चौथा पद, पू० 7
महावीर जयन्ती स्मारिका 78
2-65
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org