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भारतीय चिन्तन की परम्परा में नवीन सम्भावनाएं
: अद्वैत, ईश्वर तथा धर्म पर अटल विश्वास, सत्य, अहिंसा, आत्मनियन्त्रण, आत्मोत्कर्ष, आत्माभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, मानवमात्र की एकता और समता, देशबन्धुत्व पर आश्रित उदार राष्ट्रीयता, मानव व्यक्ति तथा मानव श्रम का आदर, सब समाजोपयोगी व्यवसायों का समान पद और गौरव, सत्याग्रह द्वारा अन्याय का प्रतिरोध तथा न्याय की स्थापना, भरपूर काम तथा जीवन निर्वाह योग्य जीविका का अधिकार एव समाजोपयोगी श्रम का कर्तव्य, सर्वोदय से प्रेरित स्वतन्त्र सहकार पर आश्रित आर्थिक व्यवस्था, मुनाफे के बजाय जनकल्याण और उपयोग के लिए उत्पादन, कर्तव्यपरायणता, लोकसेवा, सर्वोदय, सबसे सौजन्य-सौहार्दपूर्ण लोकतान्त्रिक व्यवहार, ग्रामस्वराज्य से समन्वित विकेन्द्रित लोकतन्त्र, आत्मनियन्त्रित स्वतन्त्र सहकारिता पर आधृत राज्यविहीन समाज, न्यासिता भावना से परिपूर्ण व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन गांधीजी के जीवन दर्शन के कतिपय मुख्य सिद्धान्त थे।
परिसंवाद-३
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