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इस पहली दिसंबर को काकासाहेब ६४ वर्ष पूरे करके ६५वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। काकासाहेब से में दो साल बड़ा हूं, इसलिए सांसारिक दृष्टि से आशीर्वाद देने का अधिकारी माना जाऊंगा सही, परंतु काकासाहेब मे अपने जीवन में जितने पराक्रम किये है, गांधी-विचार की जो सेवा की है, और गुजराती भाषा को जो अमूल्य योगदान दिया है, उसे देखते में उनके लिए शुभेच्छा व्यक्त करूं, यही
अधिक उचित रहेगा। ऐसे समर्पित जीवन यज्ञरूप ही होते है । उसमें भी काकासाहेब का जीवन तो पराक्रमी रहा है। इस उम्र में वे घमझे जाते है और स्वस्थ चिंतन भी कर सकते हैं, यह भी एक पराक्रम ही है। उनका यह पराक्रम ज्यादा-से-ज्यादा पनपता रहे। नाम-स्मरण का सैकड़ा १०७ का माना गया है। गुजरात में रतलका सैकड़ा ११२ का माना जाता था और लिंबू का सैकड़ा १२० का है। स्वास्थ्यवर्धक लिंबू का सैकड़ा काकासाहेब संपन्न करें, अर्थात १२० वर्ष जीयें और अपने स्वस्थ चिंतन का लाभ देते जायं, ऐसी अंतर की शुभेच्छा भेजता हूं।
अहमदाबाद
-रविशंकर महाराज
मंगल वचन | ११