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________________ स्वास्थ्य के मूल आधार आजकी सभ्यता और आजके अर्थशास्त्राने निश्चितता हर ली है। मनुष्य कटे पतंग की तरह हो गया है और उसका दिमाग इधर उधर उड़ता रहता है। उसे पता नहीं रहता वह कहां जाकर पड़ेगा । ईश्वर (कर्म) के विश्वास की खूंटी जिसमें उसका मन अटका रहता था आज उखड़ गयी है अथवा बुरी तरह हिल रही है । ऐसी स्थिति में चिन्ता, घबराहट, जड़ता, मूर्खता, दुर्व्यसन, व्यभिचार उसके साथी हो गये हैं । मनुष्य सोचे वह क्यों यह सब कर रहा है, कहां जा रहा है समय निकाले इनपर विचार करनेको और वे उसे उनसे छूटने का जो पथ बतलायें उस पर चले । ये छह सिद्धांत है स्वस्थ रहने के लिए सातवां सिद्धांत की पहले में ही आगया है कि हम कभी कभी उपवास करें । उपवास मन और तन द्वारा की गयी गलतियोंका शोधन करता है और उनमें रोग उत्पन्न होनेपर उनका नाश भी । ५०९
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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