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________________ वर्णी अभिनन्दन-ग्रंथ नेपाल से प्राप्त अज्ञातनाम-कर्तृक प्राकृत-व्याकरणके सूत्र-- ॐ नमो बुद्धाय ।। (१) ऋ ऋ ल ल न सन्त्यत्र नोमो न णानाः पृथक् । न शषौ द्विवचनञ्चैव चतुर्थी दृश्यते क्वचित् ॥ (२) ए श्रौ पदादौ ॥ (३) अउदौतो वा ॥ (४) अइदैतः॥ (५) क्वचिदेदिदीतः ॥ (६) उदोदादौतः ॥ (७) आदिदीतामेत् ।। (८) एत इत् ॥ (९) अत इदोतौ॥ (१०) अत उः२॥ (११) इत उः ॥ (१२) ईत उः ॥ (१३) ऊत ए: ॥ (१४) आदीदूतामलोपेऽसंयोगे ह्रस्वः ।। (१५) दाढा ॥ (१६) आदिदुतां क्वचिद्दीर्घः ॥ (१७) व्यञ्जनादुत श्रोः ॥ (१८) उदोतोरिदुतौ ॥ (१९) ऋतोऽदिदुदातः ॥ (२०) उरूरि सव्यञ्जनस्य च ॥ (२१) इदुतौ वा ॥ (२२) ईदरी ॥ (२३) लुल्योरिलिः ॥ (२४) रः परसवर्णः ॥ (२५) डढणबभमदधनरहितवर्गा वर्णा -अपदादौ नायुक्तात् ॥ (२६) कुदुतुषोकतेषां ॥ (२७) तथकखघधभां हः॥ (२८) हो बः॥ (२९) त लोपो णडपडरककाराश्च ।। (३०) अंकालं ॥ (३१) वेण्टं ॥ (३२) टो डढौ ॥ (३३) फालहं॥ (३४) दूरुः ॥ (३५) वस्य हुः ॥ (३६) फो भः ॥ (३७) यवरडां लः॥ १, प्रतिके प्रारम्भमें अंक १ से मिलता हुआ संकेतात्मक ऊँ है जिसे नित्ती-दोलचीने छोड़ दिया है । २, प्रतिका पाठ औतः। ३, प्रतिमें-इत ऊः। १, प्रतिमें-ईत : ५, प्रतिमें दुदेदातः । ४४२
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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