SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 403
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वर्णी अभिनन्दन-ग्रन्थ अमरकोषकी टीका (व्याख्यासुधाख्या ) की तरह इसपर भी अमरकीर्तिका एक भाष्य उपलब्ध है। इस प्रसङ्गमें प्राचार्य हेमचन्द्र विरचित अभिधानचिन्तामणि नाममाला एक उल्लेखनीय कोशकृति है। श्रीधरसेनका विश्वलोचनकोष, जिसका अपरनाम मुक्तावली है एक विशिष्ट और अपने ढंगकी अनूठी रचना है। इसमें ककारान्तादि व्यञ्जनोंके क्रमसे शब्दोंकी संकलना की गयी है जो एकदम नवीन है। मन्त्रशास्त्र-- ___ मन्त्र शास्त्रपर भी जैन रचनाएं उपलब्ध हैं । विक्रमकी ग्यारहवीं सदीके अन्त और बारहवीं के आदिके विद्वान् मल्लिषेणका भैरवपद्मावतीकल्प, सरस्वती-मन्त्रकल्प और ज्वालामालिनीकल्प महत्वपूर्ण रचनाएं हैं। भैरव-पद्मावती-कल्पमें, मन्त्री-लक्षण, सकली करण, देव्यर्चन, द्वादशरञ्जिकामन्त्रीद्धार, क्रोधादिस्तम्भन, अङ्गनाकर्षण, वशीकरण यन्त्र, निमित्त, वशीकरण तन्त्र और गारुड़मन्त्र नामक दस अधिकार हैं तथा इसपर बन्धुषेणका एक संस्कृत विवरण भी उपलब्ध है। ज्वाला-मालिनीकल्प नामक एक अन्य रचना इन्द्रनन्दिकी भी उपलब्ध है जो शक सं० ८६१ में मान्यखेटमें रची गयी थी। विद्यानुवाद या विद्यानुशासन नामक एक और भी महत्त्वपूर्ण रचना है जो २४ अध्यायोंमें विभक्त है। यह मल्लिषेणाचार्यकी कृति बतलायी जाती है; परन्तु अन्तःपरीक्षणसे प्रतीत होता है कि इसे मल्लिषेणके किसी उत्तरवर्ती विद्वान्ने ग्रथित किया है । इनके अतिरिक्त हस्तिमल्लका विद्यानुवादाङ्ग तथा भक्तामरस्तोत्र मन्त्र भी उल्लेखनीय रचनाएं हैं । सुभाषित और राजनीति-- सुभाषित और राजनीतिसे सम्बन्धित साहित्यके सृजनमें भी जैन लेखकोंने पर्याप्त योगदान दिया है । इस प्रसङ्गमें प्राचार्य अमितगतिका सुभाषित रत्नसन्दोह ( १०५० वि० ) एक सुन्दर रचना है। इसमें सांसारिक विषय-निराकरण, मायाहंकार-निराकरण, इन्द्रियनिग्रहोपदेश, स्त्रीगुणदोष विचार, देवनिरूपण श्रादि बत्तीस प्रकरण हैं। प्रत्येक प्रकरण बीस बीस, पच्चीस पच्चीस पद्योंमें समाप्त हुआ । है । सोमप्रभकी सूक्तमुक्तावली, सकलकीर्तिकी सुभाषितावली, श्राचार्य शुभचन्द्रका ज्ञानार्णव, हेमचन्द्राचार्यका योगशास्त्र, श्रादि उच्चकोटिके सुभाषित ग्रन्थ हैं। इनमें से अन्तिम दोनों ग्रन्थोंमें योगशास्त्रका महत्त्वपूर्ण निरूपण है। राजनीतिमें सोमदेवसू रिका नीतिवाक्यामृत बहुत ही महत्वपूर्ण रचना है । सोमदेवसूरिने अपने समयमें उपलब्ध होने वाले समस्त राजनैतिक और अर्थशास्त्रीय साहित्यका मन्थन करके इस १. इस ग्रन्थको श्रीसाराभाई मणिलाल नवाब अहमदाबादने सरस्वतीकल्प तथा अनेक परिशिष्टोंके साथ गुजराती अनुवाद सहित प्रकाशित किया है । २. जैन साहिस्य और इतिहास (श्री पं० नाथूराम प्रेमी ) पृ० ४१५ । ३१६
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy