SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 351
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वर्णो-अभिनन्दन-ग्रन्थ १८ नवरंगखांकोट १७४६ १६ दुन्नियापुर १६७५ २० डेराइसमाइलखां १७२२-१८०८ २१ डेरागाजीखां १७५८-१८७३ २२ सक्कीनगर १७३३-१८४८ २३ अमरसर १६०७-१८९० २४ मलस्थान १७४०-१७४४ २५ लामपुर १६४८ २६ लाहोर १७ वीं शती २७ हिसार १५०६ २८ स्यालकोट १८१४-१८३८ २६ रावलपिण्डी १८ वीं शती ३० पटियाला १८७५-१८७८ ३१ फरीदकोट १८१८ कतिपय चतुर्मास ( वर्षावास )-- सिन्ध प्रान्तमें हुए चौमासोंके आदेशोंके अब भी इतने अधिक उल्लेख मिलते है कि उनके द्वारा जैनधर्मकी प्रान्त भरमें व्यापकता स्वयं सिद्ध हो जाती है। स्था० काल श्राचार्य चतुर्मास हाजीखानडेरा १७४६-१७८८ श्रीविद्याविमल, आदि मारोठ १७४८-१७८७ देवराजपुर १७६८ श्री जिनजय सूरि डेरा इस्माइल खां १७६८-१७८८ श्री कल्याणसागर आदि मुलतान १७७६-१७८८ श्री मुक्तिमन्दिर , १४ बांग-भेहट १७७८-१७८८ श्री केहरि विद्याविमल ,, १७८०-१७८८ श्री सत्यधीर खाइबारी १७६० श्री वदिर वंगो-ईसाकोट १७९१ श्री ज्ञानप्रमोद , १ वांगा-लया १७९६ श्री महिमाविजय २६४ बन्तु
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy