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________________ प्राचीन सिंधप्रान्तमें जैनधर्म सिन्धी भाषामें भी रचनाएं की थी जैसा कि कविवर समयसुन्दर सूरिके 'मृगावती चौपाई', जटमल तथा समरथकी 'वखनी' आदि से स्पष्ट है । __ किसी समय सिन्धप्रान्त जैनौका गढ़ था । यद्यपि आज जैनी वहां बहुत विरल हो गये हैं तथापि कितनी ही जगह जैन मन्दिर, उपाश्रय, आदि दुर्दशा ग्रस्त होकर पड़े हैं । गणधर सार्द्धशतक वृहदवृत्ति, विज्ञप्ति त्रिवेणी पहावलियां, वहां रचित ग्रन्थ, वहां पर की गयीं ग्रन्थोंकी विविध प्रतिलिपियां तथा आदेशपत्रोंकी बहुलता उक्त अनुमानको स्वयं सिद्ध कर देती हैं । धर्मप्रचारके सम्बन्धसे उल्लिखित कतिपय स्थान-- विस्तृत वर्णनके विना ही निम्नाङ्कित स्थानोंकी तालिका इस तथ्यकी साक्षी है कि ११ वीं शतीके मध्यसे ही सिन्ध प्रान्त धर्म विहार में रत जैनाचार्योंका कार्यक्षेत्र हो गया था। क्रमांक स्थान वि० सम्वत् प्राचार्य विशिष्ट घटना १ मरूकोट (मारोठ) ११३० श्री जिनवल्लभसूरी भाणुमन्दिर प्रतिष्ठा, आदि २ उच्चनगर ११६७ श्री जिनदत्त सूरी भूत-प्रतिबोध, धर्मदीक्षा, आदि ३ वीठपहिण्डा ( भटिण्डा) ११७० ,, श्रविका-सन्देह निवारण, आदि ४ नगरकोट ११७३ श्री जिनपालोपाध्याय शास्त्रार्थ विजय, प्रतिष्ठा, आदि ५ देवराजपुर ( देरावर) ११७३ श्री जिनचन्द्र सूरी साधुदीक्षा, प्रतिष्टा, आदि ६ क्यासपुर ११७३ दीक्षोत्सव, आदि ७१ बहिरामपुर १३८४ श्री जिनकुशल सूरी पार्वविधि मन्दिर बन्दना, आदि ८ मालिकपुर देवराजपुर उत्सवमें योगदान, आदि ९ खोजावाहन १३८६ धर्मोपदेश, विहार, आदि १० सिलारवाहन धर्मप्रभावना, विहार, आदि ११ राणुककोट १३८४ जिनबिम्ब प्रतिष्ठा, आदि ११ परशुरोरकोट १३८० जिनकुशल सूरी का विहार * १३ सरस्वतीपत्तन १४२२ श्री संघतिलकाचार्य सम्यक्तवसप्तति,आदि१० ग्रन्थ रचे १४ नन्दनवनपुर १४६८ श्री वर्द्धमान सूरी अचार दिनकर रचना, देवबन्दन, १५ मम्मणवाहण ९४८३ श्री जयसागरोपाध्याय चतुर्मास १६ द्रोहड़ोट्टा (हड़) १४८३ श्री जयसागरोपाध्याय चतुर्मास, ग्रन्थटीका, आदि १७ फरीदपुर १४८३ , संधयात्रा , आदि १८ माबारखपुर धर्मप्रभावना, भूतिस्थापना ,, १ ये सातो स्थान न्यूनाधिक रूपमें जैन संस्कृतिकी लीलाके प्रधान केन्द्र रहे हैं। २६१
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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