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________________ वर्णी अभिनन्दन-ग्रन्थ और न वह शांति; अन्यथा वह उससे कहीं अच्छे भवन निर्माण कर जाता । इस प्रासाद के निर्माण से मुगल वादशाहोंने पर्याप्त स्फूर्ति प्राप्त की होगी । बाबरने अपनी जीवनी में इस महलकी भूरि भूरि प्रशंसा की है। संभवतः श्रागराकी नानोत्पलखचित कारीगरीमें ग्वालियर के कारीगरोंका योग अवश्य होगा और आगरा तथा सीकरीका स्थापत्य इस महल से स्पष्ठतः प्रभावित है । बाबरको इस महलका छोटापन खरा है । परन्तु यह न भूलना चाहिए कि यह निर्माण उन महाराजा मानसिंहने कराया है जिनके सिंह द्वार पर शत्रु सतत प्रहार करता रहता था और जिसे अपने चित्रमहलको भी यह सोचकर बनाना पड़ा होगा कि अवसर पड़ने पर उसमें राजपूत रमणियां अपनी रक्षा भी कर सकें । २५८
SR No.012085
Book TitleVarni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKhushalchandra Gorawala
PublisherVarni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti
Publication Year1950
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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