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। स्व. श्री शांताबेन रमेशभाई कोटड़िया नेत्र चिकित्सालय
सन् १९९९ में श्री रमेशचंदजी कोटड़िया हमारी अस्पताल देखने पधारे। उन्होंने एक कमरे के लिए ७१ हजार रू. का दान घोषित किया और हमने उनसे पूरे आँख का विभाग देने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने इसपर | सकारात्मक विचार करने का वचन दिया। दूसरे वर्ष वे आ. सुबलसागरजी के संघ का संचालन कर रहे थे। मार्ग
में उनकी पत्नी श्रीमती शांताबेन का हृदयगति रुक जाने से अवसान हो गया। इससे वे बड़े खिन्न हुए और उन्होंने मेरे बंबई जाने पर तुरंत निश्चय करके हमारे द्वारा अपेक्षित ११ लाख रू. की राशि देने की स्वीकृति दी और सन् २००० में आँख के विभाग का विधिवत् प्रारंभ किया गया। और विभाग का नाम 'स्व. श्रीमती शांताबेन कोटड़िया नेत्र चिकित्सालय' रखा गया। विभाग का उद्घाटन तत्कालीन गुजरात के महामहिम राज्यपाल श्री सुंदरसिंहजी भंडारी के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ। इसीप्रकार सन् २००२ में भ. महावीर के २६००वें जन्मोत्सव के समय हमने ट्रस्ट की ओर से उन २६ जैनरत्नों का अभिवादन किया जिन्हें 'जैनरत्न' की उपाधि से विभूषित किया गया था। उसी समय हमने न्यूजर्सी निवासी श्री निर्मलजी दोशी द्वारा प्रदत्त एम्ब्यूलेन्स के साथ सर्जरी, होम्योपेथी आदि विभागों का प्रारंभ किया। और सन् २००६ में अमरीका निवासी श्री तुरखियाजी, श्री अम्बरीश सेठीजी, श्री जिनेन्द्र-नीलिमाजी, श्री प्रद्युमन झवेरीजी के द्वारा दिये गये दान से ऑर्थोपेडिक, दंत विभाग, पेथॉलोजी लेबोरेटरी, ई.एन.टी. विभागों का लोकार्पण गुजरात राज्य के महामहिम राज्यपाल श्री । नवलकिशोरजी शर्मा के करकमलों द्वारा संपन्न किया।
निःशुल्क नेत्र चिकित्सा योजना
श्री आशापुरा माँ जैन अस्पताल में स्व. श्रीमती शांतावेन कोटडिया नेत्र विभाग को गुजरात सरकार की । मान्यता प्राप्त हो चुकी है। अतः मोतिया के नेत्रमणि के साथ निःशुल्क ऑपरेशन किये जाते हैं। एक ऑपरेशन । पर लगभग 600 रूपयों की टूट पड़ती है। अतः एक योजना प्रस्तुत की गई जिसका समर्थन एवं प्रशंसा । उद्घाटक महामहिम राज्यपालश्री ने मुक्त कंठ से की। योजना के अंतर्गत निःशुल्क नेत्र ऑपरेशन योजना का प्रारंभ किया गया। इस योजना में व्यक्ति 1 लाख, 50 हजार या 25 हजार का सदस्य बन सकता है। सदस्य । को मूल राशि कभी नहीं देनी है। मात्र दस वर्ष तक (जिसे वह चाहे तो आगे भी बढ़ा सकता है) 8 प्रतिशत का । याज ही देना है। इस राशि से निःशुल्क ऑपरेशन किये जायेंगे एवं दाता को उनके नाम भेज दिये जायेंगे जिनके ! ऑपरेशन किये हैं। इस राशि पर भी आयकर में छूट प्राप्त होगी। उदाहरणार्थ 1 लाख रू. के सदस्य को , 8 हजार, 50 हजार के सदस्य को 4 हजार एवं 25 हजार के सदस्य को 2 हजार रूपया प्रतिवर्ष देना है । जिससे क्रमशः वर्ष में 16-8-4 ऑपरेशन किये जा सकेंगे। आप सब इस योजना का लाभ लेकर गरीबों को ! ज्योति प्रदान करने में सहयोगी बनें।
अमरीका से प्राप्त आर्थिक सहयोग मैं जैसाकि पहले उल्लेख कर चुका हूँ१९९४ से प्रवचनार्थ विविध केन्द्रों पर जाता रहा हूँ। १९९३ में , 'तीर्थंकर वाणी' मासिक पत्र का प्रारंभ किया था। सर्वप्रथम न्यूजर्सी में १९९४ में लोगों को इसका परिचय देते हुए प्रचार किया था। प्रारंभ में लोगों ने टीका-टिप्पणी भी की। भूतकाल का उन लोगों को अच्छा अनुभव नहीं । था। कुछ लोग भारत से यहाँ आकर अपनी पत्रिका के ग्राहक बनाकर पैसे तो ले गये पर पत्रिका के एक-दो अंक ।