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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
जीवन
इतिहास में एक पहत्त्वपूर्ण घटना थी। जैन साहित्य के गूढ तत्त्वों को समझने की चावी मिल गई । यही नहीं, साहित्य के प्रचार के लिये उन्होंने जगह २ पर कार्यालयों की स्थापना कराई जहां से सर्व जनता को पुस्तकें सस्ते दामों में मिल सके । बहुत सी किताबों का मूल्य उन्होंने "सप्रयोग", "पठन पाठन" रखवाया । बहुत सी किताबों का मूल्य नाम मात्र है । ये बात सिद्ध है कि आचार्य महाराज ने केवल साहित्य की ही साधना नहीं की, वरन् साहित्य के द्वारा समस्त जैन-शासन की महान् सेवायें की है । वे चिरायु हों, जिससे जैन समाज को उनका मार्गदर्शन मिलता रहे।
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