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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
जीवन
तार, टेलिफोन और डाक के द्वारा आमंत्रण-पत्रिकाएं जगह - जगह भेज दी गई । इस सम्मेलन में यह निश्चित करना था कि आगामी पौष सुदि ७ को परम पूज्य गुरुदेव प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरिश्वरजी महाराज का अर्ध-शताब्दी-महोत्सव कहां मनाया जाय ? इस प्रश्न को लेकर यह सम्मेलन तारीख २६-२७ मई १९५६ को पूज्य गुरुदेव के तत्वावधान में हुआ। इस अवसर पर मालवा, मारवाड, गुजरात आदि प्रदेशों से करीबन ५०० प्रतिनिधि उपस्थित हुए। २६ मई को गुरुदेव श्री के मंगल प्रवचन के साथ सम्मेलन की कार्यवाही शुरू हुई। २७ मई को सुबह प्रतिनिधियों के एक मत से यही निश्चित हुवा कि अर्ध-शताब्दी महोत्सव परम पवित्र तीर्थ श्री मोहन खेडा में ही मनाया जाय। यह घोषणा होते ही सारा पंडाल जयध्वनि से गूंज उठा। दोपहर को बहार से आये हुए प्रतिनिधियों ने अपने-अपने नगर नगर में चातुर्मासार्थ पधारने के लिये गुरुदेव से प्रार्थना की । समय एवं लाभालाभ को देखकर गुरुदेव ने खाचरौद चातुर्मास करने की स्वीकृति प्रदान की। पश्चात् अधिवेशन की समाप्ति पर एक अपूर्व जुलूस निकाला गया । इस भव्य जुलूस के मध्य में स्व. गुरुदेव श्री का चित्र एक पालखी में रखा गया। जुलूस सारे नगर में होता हुआ पौपध शाल पर जा समाप्त हुआ । इस प्रकार दो दिवसीय सम्मेलन हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।
बडनगर से गुरुदेव मुनि-मण्डल सह विहार कर मार्ग में मोटा बालोदा खरसोद, पचलाना आदि गांवों में विचरते हुए रतलाम पधारे वहां समस्त जनता ने आपका हार्दिक स्वागत किया । यहां पर पधारने पर गरुदेव ने समाज को यह संन्देश दिया कि आधुनिक विज्ञान युग में भी हम हमारे अहिंसा सिद्धान्त के द्वारा विश्व में शान्ति फैला सकते हैं, परन्तु वह हमारे जीवन में पूर्ण रूपेण उतारने पर ही समाज-सुधार और संगठन पर भी आपने जोर दिया । गुरुदेव श्री के आगमन पर , यहाँ के श्री संघ ने अट्ठाई-महोत्सव का आयोजन किया । आठों ही दिन विविध प्रकारी पूजाएं पढाई गई । अट्ठाई - महोत्सव की समाप्ति पर एक जुलूस निकाला गया । इस जुलूस में भाग लेने के लिये बहार से खाचरौद, जावरा, बडनगर, इन्दौर उज्जैन, मन्दसौर, निम्बाहेडा, निमच, पचलाना, शिवगढ आदि नगरों से कई श्रावक श्राविकाएं आई थीं । इस प्रकार यह महोत्सव शान्ति से सम्पन्न हुआ। बाद में गुरुदेव मे मुनि -मण्डल सह जावरा की ओर विहार किया। रास्ते में धूंसवास, नामली, लुहारी आदि गांवों में ठहरते हुए गुरुदेव श्री जावरा पधारे।।
यहाँ की समस्त जनता आपका स्वागत करने को स्टेशन की फाटक पर तैयार थी । वहां से पिपली बजार तक सारा मार्ग तोरण व दरवाजों से सजाया गया था । जनता ने आप श्री का हृदयोल्लास पूर्वक स्वागत किया। करीबन ९ बजे आप पौषधशाला में पधारे। वहां आप श्री ने अपार मानव मेदिनी के मध्य मुख्य पाट के ऊपर विराज कर मांगलिक प्रवचन दिया । आपके प्रवचन में मुख्य तीन बातें रहीं । समाज का संगठन हो, समाज का प्रत्येक बालक, बालिका धार्मिक शिक्षा से शिक्षित हों और
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