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स्मरणीय ये तीन वर्ष
समाज के मुख पत्र मासिक 'शाश्वत धर्म' का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार हो । गुरुदेव श्री ने अपने मांगलिक प्रवचन को चालू रख कर जावरा श्री संघ को सम्बोधित करते हुए कहा, "मैं आज बहुत लम्बे समय के बाद यहा आया और जावरा श्री संघ ने स्वागत करके शासन प्रभावना के साथ अपनी भक्ति का परिचय दिया; परन्तु यह सर्व तब ही स्तुत्य कहा जा सकता है जब आप सर्व उपरोक्त तीन बातों का यथाशक्य पालन कर दिखलायेंगे ।" आप श्री के प्रवचन का जावरा श्री संघ पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा । दो दिन बाद संघ ने खाचरौद, रतलाम, बडनगर, इन्दौर, उज्जैन, नागदा, महदपुर, निंबाहेड़ा, नीमच, मन्दसौर आदि आस-पास के समाज के प्रतिनिधियों को बुलाकर सर्व सम्मति से पिपलोदा के जातिभाई ५०० ओसवाल घर के साथ जो ३०१ वर्ष से बहिष्कृत थे खान-पान आदि व्यवहार चालू करने की गुरुदेव के समक्ष घोषणा कर दी । घोषणा होते ही चारों ओर हर्ष ही हर्ष छा गया। दैनिक पत्रोंने भी इन समाचारों की अच्छी प्रशंसा की और साथ ही अपने-अपने हार्दिक शुभ भाव व्यक्त किये ।
खण्ड
अषाढ़ सुदि २ को सुबह आपने खाचरौद की ओर चातुर्मासार्थ मुनिमण्डल सह विहार किया । रास्ते में बड़ावदा, घीनोदा आदि गांवों में होते हुए आप अषाढ सुदि ६ को खाचरौद पधारे । वैसे तो नगर- प्रवेश ६ को ही करना था किंतु वर्षा के कारण ६ रोज शेठ टेकाजी इन्द्रमलजी की ओइल मिल में मुकाम किया । सप्तमी को सुबह ५ हजार मानवमेदिनी के साथ आपश्री नगर में पधारे। सारे नगर में घूमते हुए साडा नव वजे आपश्री लिमडावासस्थित श्री राजेन्द्र भवन में पधारे । वहां जाते ही आपश्री का मांगलिक प्रवचन हुआ । आपश्री ने प्रवचन में यहीं कहा, " दूसरों की भलाई ही मनुष्य का आभूषण है । मानव मात्र को हमेशा यहीं मावना रखना चाहिये कि मेरे द्वारा हर बार दूसरों की भलाई हो । समाज को अनेक मार्गदर्शनयुक्त आपका प्रवचन हुआ । आपश्री के आगमन से सर्वत्र हर्ष छा गया था । समाचारपत्रों ने भी अपनी शुभकामनाएं
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प्रकट कीं ।
खाचरौद में आपश्री ने अपने ओजस्वी उपदेश से पिपलौदा समाज के साथ खान-पान आदि का प्रस्ताव पास करवा कर श्री संघ में घोषणा करवाई ।
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कार्तिक वद २-३ दिनाङ्क २०-२१ अक्टुम्बर को अखिल भारत वर्षीय राजेंद्र समाज का द्वितीय अधिवेशन शेठ टेकाजी इन्द्रमलजी की अध्यक्षता में किया गया । इस सम्मेलन में यही निश्चित करना था कि आगामी पौष शुक्ला ७ को कई अड चनों से " श्री अर्धशताब्दी महोत्सव नहीं मनाया जा सकता था । अतः कब मनाया जाय ? महोत्सव की व्यवस्था के लिये अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, स्वागताध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, मंत्री आदि का चुनाव भी करना था। इस सम्मेलन में मालवा, मारवाड़, गुजरात आदि प्रदेशों से ३०० प्रतिनिधि उपस्थित हुए । विचार-विनिमय के साथ
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