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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
विविध
अंक का वर्णनात्मक नाटक है जिसमें उक्त कथानक का जैन रूपान्तर प्रस्तुत किया गया है । कवि यशश्चन्द्र ने भी जैन पौराणिक कथावस्तु पर 'राजीमती प्रबोध नाटक' लिखा है ।
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प्रका
मध्यवर्गीय चरित्र को चित्रण करनेवाले जैन नाट्य ग्रन्थों में रामचन्द्रसूरि के ' मल्लिकामकरन्द' रोहिणीमृगाङ्क' एवं 'कौमुदीमित्रानन्द' उल्लेखनीय हैं । शित कौमुदीमित्रानन्द' मध्यवर्गीय कथा पर एक सुखान्त नाटक है । इसकी कथा वस्तु में अनेकों घटनाएं कहानियों जैसी जोड़दी गई हैं । मित्रानन्द अनेक चमत्कारिक घटनाओंके बाद अपनी प्रेयसी कौमुदी को पा लेता है । इस प्रकार के नाटकों में जिनप्रभसूरि के शिष्य में रामभद्र ( १३ वीं शता. ) ने ६ अंकों 'प्रबुध्द रौहिणेय' नाटक लिखा जिसमें रौहिणेय चोर की कथा दी गई है । इस श्रेणी के नाटकों में शाकम्भरीश के मन्त्री धनदेव के पौत्र यशश्चन्द्रकृत 'मुद्रितकुमुदचन्द्र प्रकरण' ' भी आता है। इसमें गुजरात के प्रसिध्द सम्राट् जयसिंह सिद्धराज ( सन् १०९४ - ११४२ ) के दरबार में दिग० कुमुदचन्द्र और श्वेतांबर मुनि देवसूरि के बीच वादविवाद को पांच अंकों में वर्णन किया गया है । यद्यपि इसमें नाटकीय वस्तु न के बराबर है; परन्तु तर्क शैली के संवाद मनोहर हैं ।
ऐतिहासिक महत्त्व के नाटको में वीरसूरि के शिष्य जयसिंह सूरि द्वारा ५ अंकों का ' हम्मीरमद' मर्दन' ( १३ वीं शताब्दी का उत्तरार्ध) मिलता है । इससे मुसलके प्रारम्भिक आक्रमण के समय गुजरात और उसके पडौस के राज्यों की दुर्दशा तथा उस समय महामात्य वस्तुपाल की बुद्धिचातुरी एवं राजनीतिक चतुरता का अच्छा परिचय मिलता है । इसी प्रकार दूसरा ग्रन्थ, कृष्णर्षि गच्छ के आचार्य प्रसन्नचन्द्र सूरि के शिष्य नयचंद्र सूरि ( १४ वीं शता० ) की ' रम्भामंजरी' नाटिका है । इससे गाहडवाल वंश के राजा गोविन्दचन्द्र, विजयचन्द्र और जयचन्द्र के सम्बन्ध की कुछ ऐतिहासिक बातें मालूम होती हैं । इस नाटिका का नायक जयचन्द्र (जैत्रचंद्र ) है |
साङ्ग रूपक नाटकों में चौलुक्य नृपति अजयपाल (सन् १२२९-३२ ) के मन्त्री यशपाल ने ' मोहपराजय' नामक महत्त्वपूर्ण नाटक लिखा । इसमें मोह, लोभ, दोष आदि दुर्गुणों और कृपा आदि सद्गुणों को पात्र बनाया गया है और कृपासुन्दरी द्वारा सम्नाद् कुमारपाल के परिणय की कथा अर्थात् उसके जैन धर्म में दीक्षित होने की
१ जैन आत्मानन्द ग्रन्थमाला, भावनगर से प्रकाशित
२. जैन आत्मानन्द ग्रन्थमाला, भावनगर : |
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x गायकवाड मोरियण्टल सिरीज, नं. ९.
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यशोविजय ग्रन्थमाला, बनारस से प्रकाशित । गायकवाड भोरियण्टल सिरीज, बडौदा से प्रकाशित
रामचन्द्र केबलराम शास्त्री बम्बई द्वारा प्रकाशित ।
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