________________
विषय खंड
अंग विज्जा
२०३
पक्षी, धातु, रत्न, देवीदेवता, पर्व, उत्सव, व्यवहार आदि से संबंधित जो मूल्यवान् शब्दसूचियां इस ग्रन्थ में सुरक्षित रह गई हैं, उनकी यथार्थ व्याख्या की जा सके । इस ग्रन्थ के प्रकाशन के बाद सांस्कृतिक इतिहास के विद्वान लेखक इस सामग्री का समुचित उपयोग कर सकेंगे। यहां हमने कुछ शब्दों पर विचार किया है, बहुत से अभी अस्पष्ट रह गये हैं । फिर भी जहाँ तक संभव हो सका है, सांस्कृतिक अर्थों की दृष्टि से अंगविद्या के अध्ययन को आगे बढ़ाने का कुछ प्रयत्न यहां किया गया है।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org