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________________ श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ विविध पट्टावलि प्राप्त हुई है जिसका आवश्यकीय भाग विविध गच्छीय पट्टावली संग्रह में मुद्रित हुआ है । उसके अनुसार इस गच्छ की ८४ शाखायें हुई जिनमें से निम्नोक्त २५ शाखाओं के नाम उसमें दिये गये हैं १५४ १. साचोरा २. झेरंडिया ३. आनापुरा ४. गूंदाउआ ५. ओढविया ६. डेवाड ७. घोषवाडा ८. सावडउला ९. महुडासिया १०. भयरुच्छा ११. दासरुआ १२. जीरावला १३. मगउडिया १४. ब्रह्माणिया १५. मड्डाहडा १६. पिप्पलीया भतृपुरीय [ भटेवरा ] -- जे. पु. प्र. सं. की सं. का नाम आता है । नामसे इसका निकाश भृर्तपुर स्वयं सिद्ध है । Jain Educationa International १७. तपा १८. भीनमाला १९. ज. लउरा २०. रामसेणा २१. बोकडिया २२. चितउडा २३. गंगेसरा २४. कूचडिया २५. सिद्धान्ती १३३२ की प्रशस्ति में इस गच्छ [मेवाड़ भटेवर ग्राम ] से होना भावडार गच्छ - सुप्रसिद्ध कालिकाचार्य की संतान का यह नाम पंजाब में पड़ा है। पंजाब में अबभी ओसवालों को भावड़ा ही कहते हैं । इस गच्छ के कई प्रतिमा लेख आदि प्रकाशित हैं । मूलतः यह खंडिल गच्छ के कालिकाचार्य संतानीय भावदेवसूरि से ११ वीं शती में प्रसिद्धि में आया । प्रभावक चरित्र के अनुसार वीराचार्य इस गच्छ के थे व पार्श्वनाथ चरित्र के कर्त्ताभावसूरि भी । भावदेव, विजयसिंह, वीर और जिनदेवसूरि ये चार नाम पुनः २ इस गच्छ के पट्टधरों के मिलते हैं । १७ वीं शती तक यह चालू रहा । भिन्नमाल गच्छ - - प्रसिद्ध श्रीमाल नगर का नाम भिन्नमाल भी है । उसी स्थान के नाम से वहां जो समुदाय अधिक समय रहा उसका यह नाम पड़ गया। बड गच्छ पट्टावलि में इसे उस गच्छ की एक शाखा मानी है । मधुकर गच्छ - खरतर गच्छ की शाखा है। दे. खरतरगच्छ । इसके एक अभिलेख में 'चतुर्दशी पक्ष' विशेषण भी पाया जाता है । महौकराचार्य -- (सं. १४६६ गुणप्रभसूरि ले.) संभवतः मधुकर ही हो । - मडाहडीय - - सीरोही राज्य के मंडार स्थान से यह नाम पड़ा है। जो हणाद्रा से नैऋत्य में १८ मील, सीरोह से ४० मील व डीसा से ईशान कोण में २४ मील पर अवस्थित है । वड़गच्छ की पट्टावलि के अनुसार यह उसीकी शाखा है । १७ वीं सदी में कवि सारंग इस गच्छ में हो गये हैं। रत्नपुरीय इस गच्छकी एक शाखा थी । For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012074
Book TitleYatindrasuri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size14 MB
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