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२.१.३९ दूध थकां कुंण छासिनइ पीवइ । २.१.४० धुरि थी जे हुवइ धीठ, नहीं रहइ ते नीठ । २.१.४१ निसवाद वेलू ना कउलीआ ।
२.१.४२ पंचो माई कहीजियइं, परमेसर परसाद । २.१.४३ पाछा नावई जे मुआ । ५
२.१.४४ पेटइ को धालइ नहीं, अति वाल्ही छरी । २.१.४५ पोलि ताला जड्या । ७
२.१.४६ बधिरस्य ग्रन्थकोटि श्रवणेऽपि नावबोधो जायते ।" २.१.४७ बिछावणो लह्यो ऊंघतां ।
२.१.४८ बातें पापड़ किमही न थाइ । १०
२.१.४९ बूढ़ा ते किम बाल कहीजइ । ११
२.१.५० भूखो भोजन खीर बिण जीम्यां छोडइ नहीं । १२
२.१.५१ माय बाप आगल बोलतां जी, बालक केही लाज । १३
२.१.५२ मंजार मुखि छछंदरी । १४
२.१.५३ मनहूइ राजी तउ क्या करइ काजी । १५
२.१.५४ माल मलूक महल मन हरणा, साथइ नहीं आवइ इक तरणा । १६
महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
९. वही ( २.३. दूहा १३ )
२. नलदवदंती - रास (ढाल ४ से पूर्व सोरठा ३)
३. थावच्चासुत ऋषि - चौपाई (१.९.२४)
४. सीताराम - चौपाई (५.१.४)
५. सीताराम - चौपाई (३.२०)
६. वही (८.१.१७)
७. कालिकाचार्य - कथा, पृष्ठ २०६
८. वही, पृष्ठ २०६
९. सीताराम - चौपाई (४.४. दूहा ४ )
१०. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, प्रस्ताव सवैया छत्तीसी (१९).
११ . वही, हित शिक्षा गीतम् (२)
१२. सीताराम - चौपाई (८.१.२)
१३. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, आलोयणागर्भित श्री शत्रुञ्जय-मण्डन आदिनाथ भास (७)
१४. मृगावती चरित्र - चौपाई (१.५.६)
१५. शांब - प्रद्युम्न - चौपाई (१६.२)
१६. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, अंतसमये जीव-निर्जरा गीतम् (४)
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