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समयसुन्दर की रचनाओं में साहित्यिक तत्त्व
४४३ २.१.२३ चोरां विच पड्या मोर। २.१.२४ छट्ठी रात लिख्यउ ते न मिटइ। २.१.२५ जल विण किण रहइ माछली। २.१.२६ जसु रक्खे गोसाइयां, मार न सक्कै कोइ। २.१.२७ जिण कीधउ हो सदा हाल हुकम्म, तउ वे तूं कार्यंउ किम खमइ। २.१.२८ जीवतो जीव कल्याण देखइं।६ २.१.२९ जोरइ प्रीति न होयइ। २.१.३० झबकइ जाणि बीजलि। २.१.३१ तिमिरहरण सुरजि थकां, कुंण दीवानउ लाग। २.१.३२ तिरस्यो न छोडइ नीर।१० २.१.३३ त्राकडि तोलिवउ मेर।११ २.१.३४ त्रुटिस्यइ अति ताणियो।१२ २.१.३५ त्रुटी नाड़ि न को काज, करि सकइ तउ करि पहिली सवरणा।१३ २.१.३६ थूकि गिलइ नहि कोइ।१४ २.१.३७ दाहिनी आंख सखी मोरी फरूकी, रंग में भंग जणावइ हो।१५ २.१.३८ दरिद्र लाधो निधान किम छोडइ।१६ १. वही, (१.३.३) २. वही (१.७.११) ३. मृगावती चरित्र-चौपाई (१.५.१३) ४. चम्पकवेष्ठि-चौपाई (१.९. दूहा २) ५. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री अमरसर मंडण शीतलनाथ बृहत्स्तवनम् (९) ६. सीताराम-चौपाई (६.१.४३) ७. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री राजुल-रहनेमि गीतम् (२) ८. मृगावतीचरित्र-चौपाई (१.७.२) ९. सीताराम-चौपाई (२.३.१२) १०. वही (८.१.१३) ११. थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (१.९.२४) १२. सीताराम-चौपाई (६.७.१२) १३. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, अंतसमये जीव-निर्जरा गीतम् (६) १४. सीताराम-चौपाई (९.३.११) १५. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री नेमिनाथ फाग (५) १६. सीताराम-चौपाई (८.१.३)
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