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२.१.७ इणगी बाघ इहां खाई? २.१.८ उषरक्षेत्रे उप्तान्यापि बीजानि नोद्गच्छन्ति । २.१.९ एक हाणि नइ बीजउ हांसउ । ३
२.१.१० एक हाथि न पड़इ तालि । *
२.१.११ एकल आव्यउ, एकलउ जाइसि, नहिं को आवइ साथ । २.१.१२ एक हाथ मुक्ति, एक हाथ फांसी ।
२.१.१३ ओल्युं करतां थाइ पैल्युं ।
महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
२.१.१४ कहिता बात सोहिली, करता दोहिली होय ।" २.१.१५ करम तणी गति कहिय न जाय । २.१.१६ काको धौतो दुग्धेनापि धवलतां न प्राप्नोति । १० २.१.१७ कीड़ी ऊपरि केही कटकी । ११
२.१.१८ कूर्मकाय : प्रहारशतैरपि न भेत्तुं शक्यते । १२ २.१.१९ खलो वा सत्क्रियमाणोऽपि न मैत्रीभावं भजते । १३ २.१.२० खत ऊपर जिम खार, दुख माहे दुख लागो । १४ २.१.२१ गज चढ्या केवल न होइ रे । १५
२.१.२२ गज दरसण श्रीकार । १६
१. सीताराम - चौपाई (२.३.४) २. कालिकाचार्य - कथा, पृष्ठ २०६ ३. नलदवदन्ती - रास (२.१.४ )
४. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री राजुल रहनेमि गीतम् (२) ५. सयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, बारह भावना गीतम् (५)
६. वही, निद्रा गीतम् (२)
७. चम्पक श्रेष्ठि- चौपाई (१.९.२)
८. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, धन्ना - शालिभद्र सज्झाय (१३)
९. सीताराम - चौपाई (२.२.२४)
१०. कालिकाचार्य - कथा, पृष्ठ २०६
११. सीताराम - चौपाई (६.२.५०) १२. कालिकाचार्य - कथा, पृष्ठ २०६ १३. वही, पृष्ठ २०७
१४. सीताराम - चौपाई (८.१.२२)
१५. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री बाहुबलि गीतम् (२)
१६. सीताराम - चौपाई (१.८.१०)
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