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________________ ४२४ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ५.२.२७२ सामी नयर विनीता राया नाति कुल वरताया। - मृगावती-चरित्र-चौपाई (३.८) ५.२.२७३ साहेली आंबउ मउरीघउ। - सीताराम-चौपाई (१.१); श्री जिनसागरसूरि-सवैया (१४); ___ चार प्रत्येकबुद्ध संलग्न गीतम् ५.२.२७४ सिहरां सिहर मधुरपुरी रे। गढ़ां वडउ गिरनारि रे। - द्रौपदी-चौपाई (२.३); सीताराम-चौपाई (७.५) ५.२.२७५ सीखन सीखन चेलणा। – शाब-प्रद्युम्न चौपाई (१२); नरकगति-प्राप्ति गीतम् ५.२.२७६ सीतानइ संदेसउ राम भाकल्यउ रे । - नलदवदन्ती-रास (६.२) ५.२.२७७ सीमंधर सामी उपदिसई। - द्रौपदी-चौपाई (१.१); नलदवदन्ती-रास (४.३) ५.२.२७८ सीमन्धर जी सुणो मोरी विनती, विनती ए अवधारो जी। - मृगावती-चरित्र-चौपाई (३.५) ५.२.२७९ सीमन्धर सामी सांभलउ। - नलदवदन्ती-रास (६.४) ५.२.२८० सील सुरंगी चूनड़ी, पहरिइ राजुल नारि रे। - नलदवदन्ती-रास (१.६) ५.२.२८१ सुणउ रे भविक उपधान बूहां विण, किम सूझइ नवकार जी। - सीताराम-चौपाई (५.२) ५.२.२८२ सुण मेरी सजनी रजनी न जावइ रे। - थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (२.५); सीताराम-चौपाई (३.३); द्रौपदी-चौपाई (२.४); मृगावती -चरित्र-चौपाई (३.६) ५.२.२८३ सुणि बहिनी पिउड़ो परदेशी। - चम्पक श्रेष्ठि-चौपाई (२.८) ५.२.२८४ सूंबरा तुं सुलताण, बीजा हो बीजा हो थारा सुंबरा ओलगू हो। - सीताराम-चौपाई (८.६) श्री जिनसागरसूरि गीतानि (५) ५.२.२८५ सेजा वालिम की जयउं चढ़ी पायल वाजइ। - मृगावती-चरित्र-चौपाई (१.५) ५.२.२८६ सोभागि सिंह। - शाब-प्रद्युम-चौपाई (१६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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