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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ५.२.२७२ सामी नयर विनीता राया नाति कुल वरताया।
- मृगावती-चरित्र-चौपाई (३.८) ५.२.२७३ साहेली आंबउ मउरीघउ। - सीताराम-चौपाई (१.१); श्री जिनसागरसूरि-सवैया (१४);
___ चार प्रत्येकबुद्ध संलग्न गीतम् ५.२.२७४ सिहरां सिहर मधुरपुरी रे। गढ़ां वडउ गिरनारि रे।
- द्रौपदी-चौपाई (२.३); सीताराम-चौपाई (७.५) ५.२.२७५ सीखन सीखन चेलणा।
– शाब-प्रद्युम्न चौपाई (१२); नरकगति-प्राप्ति गीतम् ५.२.२७६ सीतानइ संदेसउ राम भाकल्यउ रे ।
- नलदवदन्ती-रास (६.२) ५.२.२७७ सीमंधर सामी उपदिसई।
- द्रौपदी-चौपाई (१.१); नलदवदन्ती-रास (४.३) ५.२.२७८ सीमन्धर जी सुणो मोरी विनती, विनती ए अवधारो जी।
- मृगावती-चरित्र-चौपाई (३.५) ५.२.२७९ सीमन्धर सामी सांभलउ।
- नलदवदन्ती-रास (६.४) ५.२.२८० सील सुरंगी चूनड़ी, पहरिइ राजुल नारि रे।
- नलदवदन्ती-रास (१.६) ५.२.२८१ सुणउ रे भविक उपधान बूहां विण, किम सूझइ नवकार जी।
- सीताराम-चौपाई (५.२) ५.२.२८२ सुण मेरी सजनी रजनी न जावइ रे।
- थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (२.५); सीताराम-चौपाई (३.३);
द्रौपदी-चौपाई (२.४); मृगावती -चरित्र-चौपाई (३.६) ५.२.२८३ सुणि बहिनी पिउड़ो परदेशी।
- चम्पक श्रेष्ठि-चौपाई (२.८) ५.२.२८४ सूंबरा तुं सुलताण, बीजा हो बीजा हो थारा सुंबरा ओलगू हो।
- सीताराम-चौपाई (८.६) श्री जिनसागरसूरि गीतानि (५) ५.२.२८५ सेजा वालिम की जयउं चढ़ी पायल वाजइ।
- मृगावती-चरित्र-चौपाई (१.५) ५.२.२८६ सोभागि सिंह।
- शाब-प्रद्युम-चौपाई (१६)
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