SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 440
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२५ समयसुन्दर की रचनाओं में साहित्यिक तत्त्व ५.२.२८७ सोभागि सुन्दर तुम बिन घड़ीय न जाय। - सीताराम-चौपाई (१.३) ५.२.२८८ सोभागी सुन्दर भाव वडउ संसारि। - पौषध-विधि गीतम् (३) ५.२.२८९ सोरठ देस सोहामणउ साहेलड़ी ऐ देवा तणउ निवास। - सीताराम-चौपाई (१.३) ५.२.२९० सोहला-नी। - पुण्यसार-चौपाई (७); द्रौपदी-चौपाई(१.८,३४) ५.२.२९१ हरिया मन लागो। - सीताराम-चौपाई (४.४); द्रौपदी-चौपाई (१.११); - मृगावती-चरित्र-चौपाई(१.१०) ५.२.२९२ हांजरा री। - नलदवदन्ती-रास (४.१) ५.२.२९३ हाथीयांरइ हलकइ आवे महारइ प्राहणउ रे। - नलदवदन्ती-रास (५.२) ५.२.२९४ हिव करकण्डु आवीयउ जी। - धनदत्त-चौपाई (४); द्रौपदी-चौपाई (१.४); साधुवन्दना-रास (२) ५.२.२९५ हिव रानी पद्मावती। - धनदत्त-चौपाई (७) ५.२.२९६ हिव श्री चंद सकल वन जोतुं । - सीताराम-चौपाई (४.४) ५.२.२९७ हीडोलना-नी। - श्री जिनचन्द्रसूरि हीडोलणा गीतम् ५.२.२९८ हुं वारी लाल नी। - वल्कलचीरी-रास (२) ५.२.२९९ हो रंग लीयां हो रंग लीयां नणद। - सीताराम-चौपाई (७.२) ५.२.३०० हो संग्राम राम नइ रावण मंडाया। - द्रौपदी-चौपाई (३.१) इस प्रकार हम देखते हैं कि महाकवि समयसुन्दर का गेय-साहित्य रागों और देशियों का एक वृहत कोश' है। उनके गेय-साहित्य में पूर्णत: प्रवाहशीलता है। रागों में संगीत-शैली की जहाँ गंभीरता एवं संयतता है, वहीं देशी में स्वर-वैचित्र्य एवं चपलता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy