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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ५.२.२४१ वांगलिया
- मृगावती-चरित्र-चौपाई (१.८) ५.२.२४२ वाज्यउ वाज्यउ मादल कउ घोकार।
- सीताराम-चौपाई (४.५) ५.२.२४३ वाडी फूली अति भली मन भमरा रे।
- नलदवदन्ती-रास (५.३); चार प्रत्येकबुद्ध-रास (४.८) ५.२.२४४ वालुं रे सवायो वयर हूं माहरो रे।
-पुण्यसार-रास (४); द्रौपदी-चौपाई (२.२); सिंहलसुत-चौपाई (३) ५.२.२४५ वाहण सिलामती ए।
- श्री जिनसागरसूरि गीतानि (९); चार प्रत्येकबुद्ध-रास (४.१) ५.२.२४६ वीर वखाणी राणी चेलणा।
- नलदवदन्ती-रास (४.४); गणधरवसही आदि जिन स्तवनम् (८) ५.२.२४७ वीरा हो थारइ सेहरइ मोह्या पुरुष वियार लाडण वी.।
- सीताराम-चौपाई (९.६) ५.२.२४८ वीसारी मुन्हे वालहइ तथा हरियानी।
- सीताराम-चौपाई (४.२) ५.२.२४९ वेगवती तिहां बांभणी।
- चम्पकवेष्ठि-चौपाई (२.५) ५.२.२५० वेगि विहरण आव्यो घरे।
- श्री प्रसन्नचन्द्र राजर्षि गीतम् ५.२.२५१ वेसर सोना की घरि दे वे चतुर सोनार वे।
- सीताराम-चौपाई (४.१) ५.२.२५२ शांति जिण भामिडलइ जाऊँ।
- थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (२.१०); मृगावती-चरित्र-चौपाई (३.१२) ५.२.२५३ शालिभद्र आज तुम्हानइ आपणी माता।
- श्री जिनसागरसूरि गीतानि(४) ५.२.२५४ शील कहे जगि हूं बड़ो।
- चार प्रत्येकबुद्ध-रास (२.८); सीताराम-चौपाई (९.७) ५.२.२५५ श्रावण मास सोहामणउ ए चउमासिया।
- सीताराम-चौपाई (६.७) ५.२.२५६ श्री गौतम श्री अगनिभूति।
- साधु-वन्दना-रास (१४)
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