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________________ ४२१ समयसुन्दर की रचनाओं में साहित्यिक तत्त्व ५.२.२२५ राती कांबलड़ी। - श्री पुरिमताल मंडण आदिनाथ भास ५.२.२२६ रामचन्द्र के बाग चम्पो मोही रह्यो री। - शाब-प्रद्युम्न-चौपाई (२.२) ५.२.२२७ राम देसउटइ जाय। – धनदत्तश्रेष्ठि-चौपाई ५.२.२२८ राय गंजण सभा, स्वाम स्वयंप्रभ सांभलउ। - चम्पकवेष्ठि-चौपाई (१.१०) ५.२.२२९ रिषभ जिनेसर भेटिया रे लाल। - श्री राणकपुर आदि जिन स्तवनम् ५.२.२३० रिषभ प्रभु पूजियइ। - शत्रुजय-रास (६) ५.२.२३१ रुकमणी राणी अति विलखाणी। -- पुण्यसार-रास (१०) ५.२.२३२ रूड़ी रे रूड़ी वारण रमता पद्मनी रे। - मृगावती-चरित्र-चौपाई (२.७) ५.२.२३३ रे जीव जिनधर्म कीजियइ। - चार प्रत्येकबुद्ध-रास. (३.११) ५.२.२३४ रे रंग रत्ता करहला, सो प्रीउ रत्तउ आणि। - सीताराम-चौपाई (७.३) ५.२.२३५ लंका लीजइगी, सुणि रावण, लंका लीजइगी। - सीताराम-चौपाई (६.२) ५.२.२३६ लाखा फूलाणी। - नलदवदन्ती रास (१.७) ५.२.२३७ लाल्हरे-नी - श्री नग्गइ चतुर्थ प्रत्येकबुद्ध गीतम् ५.२.२३८ वरंसा लउ सांभरउ। - सीताराम-चौपाई (२.४) ५.२.२३९ वरंसारी होली आवी प्राहुणी रे। - नलदवदन्ती-रास (४.६) ५.२.२४० वलि करकण्डू आवियउ। - थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (१.७) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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