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समयसुन्दर की रचनाओं में साहित्यिक तत्त्व ५.२.२२५ राती कांबलड़ी।
- श्री पुरिमताल मंडण आदिनाथ भास ५.२.२२६ रामचन्द्र के बाग चम्पो मोही रह्यो री।
- शाब-प्रद्युम्न-चौपाई (२.२) ५.२.२२७ राम देसउटइ जाय।
– धनदत्तश्रेष्ठि-चौपाई ५.२.२२८ राय गंजण सभा, स्वाम स्वयंप्रभ सांभलउ।
- चम्पकवेष्ठि-चौपाई (१.१०) ५.२.२२९ रिषभ जिनेसर भेटिया रे लाल।
- श्री राणकपुर आदि जिन स्तवनम् ५.२.२३० रिषभ प्रभु पूजियइ।
- शत्रुजय-रास (६) ५.२.२३१ रुकमणी राणी अति विलखाणी।
-- पुण्यसार-रास (१०) ५.२.२३२ रूड़ी रे रूड़ी वारण रमता पद्मनी रे।
- मृगावती-चरित्र-चौपाई (२.७) ५.२.२३३ रे जीव जिनधर्म कीजियइ।
- चार प्रत्येकबुद्ध-रास. (३.११) ५.२.२३४ रे रंग रत्ता करहला, सो प्रीउ रत्तउ आणि।
- सीताराम-चौपाई (७.३) ५.२.२३५ लंका लीजइगी, सुणि रावण, लंका लीजइगी।
- सीताराम-चौपाई (६.२) ५.२.२३६ लाखा फूलाणी।
- नलदवदन्ती रास (१.७) ५.२.२३७ लाल्हरे-नी
- श्री नग्गइ चतुर्थ प्रत्येकबुद्ध गीतम् ५.२.२३८ वरंसा लउ सांभरउ।
- सीताराम-चौपाई (२.४) ५.२.२३९ वरंसारी होली आवी प्राहुणी रे।
- नलदवदन्ती-रास (४.६) ५.२.२४० वलि करकण्डू आवियउ।
- थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (१.७)
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