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________________ ४१८ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ५.२.१८१ भमरली-री। - नलदवदन्ती-रास (४.५) ५.२.१८२ भमरा-नी। - द्रौपदी-चौपाई (२.५); शांब-प्रद्युम्न-चौपाई (१९); मृगावती चरित्र-चौपाई (१.११); श्री प्रसन्नचन्द्र राजर्षि गीतम् ५.२.१८३ भरत थयो ऋषिराय रे। -- सीताराम-चौपाई (५.७) ५.२.१८४ भरत नृप भाव सुंए। – धनदत्त-चौपाई (९); वस्तुपाल-तेजपाल रास (१) ५.२.१८५ भरत यात्रा भणी ए। - श्री जिनसागरसूरि गीतानि (९) ५.२.१८६ भलु रे कीधुं सामी नेमकुमारा। - श्री महावीर देव गीतम् ५.२.१८७ भलु रे थयुं म्हाइ पूज जी पधार्या । - श्री नेमिनाथ गीतमः श्री महावीर देव गीतम; श्री जिनसागरसूरि गीतानि (१०) ५.२.१८८ भव्य तणे परिपाक। - साधु-वन्दना-रास (४) ५.२.१८९ भावन-री। - नलदवदन्ती-रास (२.४) ५.२.१९० भीली-नी। - श्री गौतमस्वामी गीतम् ५.२.१९१ मंइ वहरागइ संग्रह्यउ। - सिंहलसुत-चौपाई (७) ५.२.१९२ मंगल कमला नी। - साधु-वन्दना-रास (१७) ५.२.१९३ मदन मदं वासउ माहव मांडियउ रे। - सिंहलसुत-चौपाई (११) ५.२.१९४ मधुकर-नी। - दानशीलतपभाव-संवाद-शतक(१); चम्पकवेष्ठि-चौपाई (१.६); मृगावतीचरित्र-चौपाई (१.४); श्री उदयन राजर्षि गीतम् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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