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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ५.२.१५२ पहिलं परणाम वारं जिनराय।
- मृगावती-चरित्र-चौपाई (३.१) ५.२.१५३ पाइल री।
- सिंहलसुत-चौपाई (२) ५.२.१५४ पाछी नइ वउ लावे रावण जानकी रे।
-नलदवदन्ती-रास (६.२) ५.२.१५५ पाय पणमी रे जिणवर नइ सुपसाउलइ।
- श्री ज्ञानपंचमी वृहत्स्तवनम् (३) ५.२.१५६ पास जिणंद जुहारियई।
- गौतमपृच्छा चौपाई (५); दानशीलतपभाव-संवाद-शतक (२);
साधु-वन्दना-रास (१८); द्रौपदी-चौपाई (३.६);
सीताराम-चौपाई (९.७); केशी-प्रदेशी प्रबन्ध (४) ५.२.१५७ पियु चले परदेस, सबइं गुण ले चले।
- नलदवदन्ती-रास (३.३) ५.२.१५८ पुरंदर री विसेषाली।
- सीताराम-चौपाई (१.२) ५.२.१५९ पुरोहितिया-नी
- द्रौपदी-चौपाई (१.१५) ५.२.१६० पूजीजइ हे सखि फबवधि पास कि आसा पूरइ सुरमणी।
- श्री अमरसर मण्डण श्री शीतलनाथ वृहत्स्तवनम् ५.२.१६१ पूरउ नइ सुहागण रूढो साथियो जी।
- चार प्रत्येकबुद्ध रास (४.४) ५.२.१६२ पूरव भव तुम्हें सांभलउ।
- सिंहलसुत-चौपाई (९) ५.२.१६३ पोपट चाल्यो रे परणवा।
- चम्पकवेष्ठि-चौपाई (१.१); गौतमपृच्छा-चौपाई (२);
थावच्चासुत ऋषि-चौपाई (१.९); श्री जिनसागरसूरि गीतानि (११) ५.२.१६४ प्रतिबुधउ रे।
- पुण्यसार-रास (१४) ५.२.१६५ प्रभु प्रणमुं रे पास जिणेसर थंभणो।
___ - श्री घंघाणी पार्श्वनाथ स्तवन पौषध विधि गीतम्
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