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________________ समयसुन्दर की रचनाओं में साहित्यिक तत्त्व ५.२.१३७ नयण निहालो रे नाहला। __- श्री जिनसागरसूरि-गीतानि (११) ५.२.१३८ नयन सलूणी रे गोरी नागिला। - चार प्रत्येकबुद्ध रास(३.२) ५.२.१३९ नयरी द्वारामती कृष्ण नरेस। - शत्रुञ्जय-रास(१); सिंहलसुत चौपाई (१) ५.२.१४० नल-नल बींदलो रे। - सीताराम-चौपाई (१.५) ५.२.१४१ नल राजा रइ देसी हो जी पूगल हुँती पलाणिया। – थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.४); श्री नमि प्रत्येकबुद्ध गीतम् ५.२.१४२ नाचै इन्द्र आणंद सुं। - चम्पकश्रेष्ठि-चौपाई (२.२) ५.२.१४३ नायका-नी। - सीताराम-चौपाई (५.४); मृगावती-चरित्र-चौपाई (१.२) ५.२.१४४ नारिंग पुरवर पास जी ए। - श्री स्तम्भन पार्श्वनाथ गीतम् ५.२.१४५ नाहलिया म जाए गोरी रइ वणहटइ। - सीताराम-चौपाई (३.७) ५.२.१४६ नाहलिया म जाए गोरी रावण हरइ। - श्री जिनराजसूरि-गीतानि (३) ५.२.१४७ नीबइयानी। -- क्षुल्लक ऋषि रास (४); नलदवदन्ती-रास (१.५), गौतमपृच्छा चौपाई (४); केशी-प्रदेशी प्रबन्ध (२), थावच्चासुत ऋषि चौपाई (१.२); द्रौपदी-चौपाई (२.१०) ५.२.१४८ नेमि समीपइ रे संजम आदर्यउ। - ढंढण ऋषि गीतम् (२) ५.२.१४९ नोखारा-नी। - सीताराम-चौपाई (८.३) ५.२.१५० परियां ! हम तुम एकणी गांम के पणि युं किसुं विवहार रे। - मृगावती-चरित्र-चौपाई(३.२) ५.२.१५१ परीयां री कनकमाला इम चिंतवइ ए। - वल्कलचीरी-रास (६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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