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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ५.२.१२४ दुमुह नाम राजा घरइ रे गुणमाला पटराणी।
- श्रीजिनसागरसूरि-गीतानि (१२) ५.२.१२५ दुलह किसण दुलहणी राधिका जी।
___ - द्रौपदी-चौपाई(२.८); सिंहलसुत चौपाई (८) ५.२.१२६ दूर दक्षिण कइ देसड़इ।
- पुण्यसार-रास (१३) ५.२.१२७ देखि देखि जीव नटावइ अइसउ नाटक मंडाणउ री।
-विहरमान वीसी स्तवनाः (१३) ५.२.१२८ देखो माइ आसा मेरइं मन की सफल फली रे, आणंद अंगि न माय।
-- सीताराम-चौपाई(४.३) ५.२.१२९ धन-धन अयवन्ती सुकुमाल नइ। - शत्रुञ्जय-रास (५); साधु-वन्दना-रास(९); केशीप्रदेशी प्रबन्ध(१); श्री ढंढण ऋषि गीतम् श्री आदीश्वर ९८ पुत्र प्रतिबोध गीतम्।
मृगावती-चरित्र-चौपाई(१.६) ५.२.१३० धन-धन ते रिषि गाइयइ।
- साधु-वन्दना-रास (१); थावच्चासुत ऋषि चौपाई (१.५) ५.२.१३१ धन पद्मावती।
- सीताराम-चौपाई (२.५) ५.२.१३२ धन सारथवाह साधु नइ।
- श्री दमयन्ती-सती गीतम् ५.२.१३३ धरम हीयइ धरउ।
- धनदत्त-चौपाई (८) ५.२.१३४ धर्म भलो छइ भावना।
- पुण्यसार-रास (१५) ५.२.१३५ नगर सुदरसण अति भलउ।
- द्रौपदी-चौपाई (१.६); चम्पक श्रेष्ठि चौपाई (१.५); गौतम पृच्छा चौपाई (३); साधु-वन्दना-रास (७); थावच्चासुत ऋषि चौपाई
(१.४); वल्कलचीरी-रास (८), मनोरथ गीतम् ५.२.१३६ दल-री।
- पुण्यसार-रास (५); दानशीलतपभाव-संवाद-शतक (३); श्री जिनसिंहसूरि गीतानि (१०); चार प्रत्येकबुद्ध रास (१.५)
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