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समयसुन्दर की रचनाओं में साहित्यिक तत्त्व
४११ शांब-प्रद्युम्न-चौपाई (११); चार प्रत्येक-बुद्ध रास (१.८);
मृगावती-चरित्र चौपाई (२.१२) ५.२.८४ चोचो रिति करि चिहु गमइ।
- साधु-वन्दना-रास (१५) ५.२.८५ छइ मोटं पणि पदम सरोवर ।
-विहरमान वीसी स्तवनाः (९) ५.२.८६ छांनो नइ छिपी नइ वाल्हो किंहा रहिउ।
- सीताराम-चौपाई (७.१) ५.२.८७ जंतरी-री।
- चार प्रत्येकबुद्ध रास (२.६) ५.२.८८ जंबुद्वीप पूरव सुविदेह ।
- सीताराम-चौपाई (२.२) ५.२.८९ जंबुद्वीप मझार अवसर जाणी इन्द्र।
- चार प्रत्येकबुद्ध रास (३.५); थावच्चासुत ऋषि चौपाई
(१.३); सीताराम चौपाई (४.६) ५.२.९० जंबुद्वीप मझारि भरत क्षेत्र माहें हथिणाउरपुर सलहीयर ।
- नलदवदन्ती-रास (३.५) ५.२.९१ जउ तुं चाल्यउ चाकरी पूरवउ उगमणनि वार उलगाणा वार हूं चालिवाने छु।
- नलदवदन्ती-रास (६.५) ५.२.९२ जकड़ी-नी
- द्रौपदी-चौपाई (१.१४); नलदवदन्ती-रास (२.५); सीताराम-चौपाई (१.६); मृगावती-चरित्र चौपाई (१.७);
वल्कलचीरी रास (३) ५.२.९३ जग जीवन वीर जी कुवण तुम्हारइ सीस।
- पौषध-विधि गीतम् (५) ५.२.९४ जगि छइ घणाइ घणेरा, तीरथ भला भलेरा।
- सीताराम-चौपाई (५.७) ५.२.९५ जत्ती-री।
- नलदवदन्ती-रास (१.३) ५.२.९६ जननि मनि आसा घणि।
- साधु-वन्दना-रास (१३); कर्म-निर्जरा रीतम्;
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