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५.२.९७
५.२.९८
जलालिया-नी
५.२.१०३
महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व श्री थावच्चा ऋषि गीतम्; चार प्रत्येकबुद्ध रास (१.३)
जाइ रे जीउरा निकसकइ ।
- द्रौपदी - चौपाई (३.६ ) ; सिंहलसुत - चौपाई (६); गणधरवसही आदि जिन स्तवनम् (७)
५.२.९९ जा जा रे बांधव तुं बड़उ ।
५.२.१०० जानी एता मान न कीजियइ ए ।
- सीताराम - चौपाई (७.४)
५.२.१०१ जानी बे सिहर बड़ा मुलताण विचि मन्दारा सोहदा मइज जाषी बे। - मृगावती - चरित्र चौपाई (३.९)
५.२.१०२ जिणवर सुं मेरउ मन लीणउ ।
- वल्कलचीरी- - रास (४); द्रौपदी - चौपाई (१.२)
५.२.१०९ झूबखरा ।
५. २.१०४ जीवड़ा जिनधर्म कीजियइ ।
• थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.९); नलदवदन्ती - रास (३.१ ); शत्रुञ्जय - रास ( २ ); श्री ऋषिदत्ता गीतम्; सीताराम - चौपाई (३.१,५.२) जिनजी तुम दरसण मुझ नइ बालहु ।
-मृगावती- चरित्र चौपाई (३.११)
शत्रुञ्जय - रास (४)
- द्रौपदी - चौपाई (१.४)
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- शांब - प्रद्युम्न - चौपाई (१५)
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५.२.१०५ जुद्ध सण्यउ पद्यावती रे ।
५.२.१०६ जैसलमेर जीराउलइ रे ।
५.२.१०७ जोगनानइ कहिज्यो रे आदेश ।
५.२.१०८ झांखर दीवा रे बलइ रे, कालरि कमल न होइ । छोरि मूरिख मेरी बांहड़िया, मींया जोरइंजी प्रोति न जोइ ॥
- सीताराम - चौपाई (४.२)
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५.२.११० ठमकी- ठमकी पायनउ ।
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- नलदवदन्ती - रास (१.२)
- सीताराम चौपाई (८.२)
चार प्रत्येकबुद्ध-रास (३.४)
- सीताराम - चौपाई (९.३)
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