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________________ समयसुन्दर की रचनाओं में साहित्यिक तत्त्व ४०९ ५.२.५५ कृपानाथ मुझ वीनति अवधार। - साधु-वन्दना-रास (६) ५.२.५६ केकइ राणी वर मांगे। - चम्पकष्ठि-चौपाई (१.७); थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.२) ५.२.५७ कोइ पूछो बाँझण जोसी रे, हरि को मिलण कद होसी रे। - सीताराम-चौपाई (८.५) ५.२.५८ कोइलउ परवत धुंधलो रे लाल। - नलदवदन्ती-रास (३.२) ५.२.५९ खेलानी। __ - द्रौपदी-चौपाई (२.४) ५.२.६० गंगा मीणा रा थारी मिरगली। - चार प्रत्येकबुद्ध रास (३.१) ५.२.६१ गजरा-नी - श्री गजसुकुमाल मुनि गीतम् ५.२.६२ गडइ मेवाड़ लोडियउ रे लाल। - नलदवदन्ती-रास (३.२) ५.२.६३ गलियारे साजण मिल्या रे। - सीताराम-चौपाई (९.२); श्री करकण्डु प्रत्येकबुद्ध गीतम्; गणधरवसही आदि जिन स्तवन (१) ५.२.६४ गिरधर आवेगो। -चार प्रत्येकबुद्ध रास (४.३); नलदवदन्ती-रास (१.४) चम्पकवेष्ठि चौपाई (१.१२) ५.२.६५ गुजराती पूलडाँ। - शाब-प्रद्युम्न-चौपाई (११) ५.२.६६ गुजराती सहलेड़ी नी। - श्री शान्तिनाथ हुलरामणा गीतम् ५.२.६७ गुण वेलड़ी-नी। - श्री शान्तिनाथ हुलरामणा गीतम् ५.२.६८ गुरुजी ने वधामणडुं। - सांझी गीतम् ५.२.६९ गौड़ी मंडन पास। - श्री ज्ञानपंचमी वृहत् स्तवनम् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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