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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व २.२५ मेघदूत-वृत्ति
__उक्त ग्रन्थों की सूचना महोपाध्याय विनयसागर एवं नाहटा-बन्धुओं ने दी है, किन्तु इन ग्रन्थों की पाण्डुलिपियाँ अथक प्रयास के पश्चात् भी किसी ग्रन्थालय में प्राप्त नहीं हो सकीं। इन ग्रन्थों को प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी रहेगा। यदि किसी ग्रन्थालय में ये ग्रन्थ उपलब्ध होंगे, तो हम उन पर अनुसन्धानपरक दृष्टि से अध्ययन प्रस्तुत करने की भावना रखते हैं।
३. संग्रह-ग्रन्थ संग्रह-ग्रन्थ वे ग्रन्थ हैं, जिनमें प्राचीन आचार्यों की कृतियों से श्लोकों या पद्यों को लेकर उन्हें एक सुव्यवस्थित रूप में संकलित किया जाता है। महोपाध्याय समयसुन्दर ने न केवल पद्यों आदि के संग्रह-ग्रन्थ निबद्ध किये हैं, अपितु कथाओं के भी संग्रह-ग्रन्थ लिखे थे। अब तक की खोज से उनके निम्नलिखित संग्रह-ग्रन्थ प्राप्त हुए हैं -
३.१ गाथा-सहस्री ३.२ कथाकोश
उक्त दोनों संग्रह-ग्रन्थों का परिचयात्मक अध्ययन निम्नानुसार है३.१ गाथा-सहस्त्री
प्रस्तुत संग्रह-ग्रन्थ में पूर्वाचार्यों द्वारा कथित सुभाषितों का सुन्दर संकलन हुआ है। पण्डितप्रवर समयसुन्दर से पूर्व भी सुभाषित-वचनों को संग्रहीत करने का कार्य होता
आ रहा है। विद्वानों की दृष्टि में ११वीं शती में संग्रहीत 'कवीन्द्र-वचन-समुच्चय' ही प्राचीनतम सुभाषित-संग्रह माना गया है। जैन परम्परा में भी पादलिप्तसूरि का 'गाथासप्तशती', जय वल्लभ का वजालग्ग', समयसुन्दर का 'गाथा-सहस्त्री' आदि संग्रह ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं।
इन संग्रह ग्रन्थों में 'गाथा सहस्री" भी एक महत्त्वपूर्ण संकलन है, जो कवि समयसुन्दर के व्यापक ज्ञान का द्योतक है। प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रणयन करने के लिए कवि ने विविध ग्रन्थों का गहनावलोकन किया था। उनके अत्यधिक उद्यम से ही यह ग्रन्थ तैयार हो सका। कवि स्वयं निर्देश देते हैं -
गाथा कियत्यः प्रकृता: कियत्य श्लोकाश्च काव्यानि कियन्ति सन्ति। नानाविध ग्रन्थ विलोकन श्रमा देकीकृता अत्र मया प्रयत्नात् ॥३
इस संग्रह ग्रन्थ में जैन आगमों की सूक्तियों, सुभाषितों, अन्योक्तियों, गाथाओं आदि का सर्वाङ्गीण संग्रह किया गया है। प्रमुख जैनेतर धार्मिक ग्रन्थों की सूक्तियों का भी १. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, महोपाध्याय समयसुन्दर, पृष्ठ ५०-५५
२. सीताराम-चौपाई, भूमिका, पृष्ठ ५४-५५ .. ३. गाथा-सहस्री, प्रशस्ति (२)
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