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________________ श्री अभिधान राजेन्द्र कोश और उसके कर्ता । ३७ श्री अभिधान राजेन्द्र कोष का _प्रथम भाग ग्रंथकर्ता का सुंदर चित्र:इस ग्रंथराज के प्रथम भाग में सबसे पहिले ग्रंथकर्ता का आधुनिक रूप में सुंदर चित्र दिया हुआ है । जिस में आचार्यप्रवरश्री राजेन्द्रमूरिजी के जन्म, दीक्षा, पन्यास, श्रीपूज्यपदवी, क्रियोद्धार, दिवंगति का समय और स्थान अंकित किया हुआ है। आभार- प्रदर्शन आभार प्रदर्शन किया गया है जिस में ग्रंथ-रचयिता श्री राजेन्द्रसूरिजी की इस ग्रंथरचना का समय निर्धारित किया है । इसके मुद्रणकार्य संबंधी व्यवस्था के लिये श्रीसंघकी एक सभा हो कर प्रस्ताव स्वीकृत हुआ और इसका तमाम कार्यभार स्व. आचार्य श्री भूपेन्द्रसूरिजी तथा वर्तमान आचार्य श्रीयतीन्द्रसूरिजी के कंधो पर रक्खा गया। उन्होंने इस कार्य को घोर परिश्रम करके संपूर्ण किया । इस कार्य में जिन २ मुनियोंने उपदेश देकर इसको आर्थिक सहायता पहुंचाई उनका संक्षिप्त परिचय दिया है। साथ ही मालवी, निमाड़, मारवाड़, गुजरात के जिन २ सद्गृहस्थोंने इस अभिधान राजेन्द्र को मुद्रित व प्रकाशित कराने में अपने धन की सहायता देकर सदुपयोग किया उन की संपूर्ण नामावली देकर आभार प्रदर्शन किया है। जीवन-परिचय श्री अभिधान राजेन्द्र कोष आदि ग्रंथों के निर्माता आचार्यप्रवर श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का संपूर्ण जीवन परिचय १५ पृष्ठों में दिया है, जिस के पठन से अच्छी तरह विदित हो सकता है कि आचार्यश्री का जीवन कितना प्रभावोत्पादक है। उन्होंने अपने पिछले जीवन में देश, समाज, धर्म, साहित्य आदि की कितनी सेवायें की हैं । इसमें आचार्य श्रीद्वारा रचित ग्रंथों की नामावली संवत् सहित दी है। उनके हाथ से लिखे हुए अक्षरों का एक चित्र दिया है जिस को देख कर अच्छी तरह आभास होता है कि उनके अक्षर कितने सुंदर व शुद्ध थे । उनके अक्षरों की लिखावट व सफाई कितनी बढ़िया और कलात्मक थी कि एक वक्त छापेखानों के अक्षरों को भी पीछे रख देती थी । श्री सौधर्मबृहत्तपागच्छीय पट्टावली इसमें श्री महावीरस्वामी के शासनकाल के नायक श्री सुधर्मास्वामी से लेकर श्री विजयराजेन्द्रसूरिजी पर्यंत तमाम ६७ आचार्यों की पाट-परम्परा की नामावली दी है। आचार्यप्रवर श्री धनचन्द्रसूरीश्वरजी आचार्य श्री राजेन्द्रसूरिजी के सब से प्रथम विद्वान् शिष्य श्री धनचन्द्रसूरिजी का एक चित्र
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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