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श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-ग्रंथ
(७)
पुष्पाञ्जलि
श्रीमद् यतीन्द्रसरिशिष्य मुनि शान्तिविजय
परम योगी, परम ज्ञानी!
प्रभु-श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज ! आप के त्याग से दुनिया के जन--मन-गण प्रभावित हुए और सपथ के पथिक वने ! आपने आध्यात्मिक जीवन में अथाग प्रगति की ! आप के साहित्य से विश्व को नई स्फूर्ति प्राप्त हुई ! तप और मनोनिग्रह से आपने अजेय को भी जीत लिया ! आपने अपने साहस से पाखंडियों के प्रवाह को रोक दिया और आप के ध्यान से हिंसक जीव भी शांत हुए थे। एक नहीं अनेक ऐसी घटनाओं से आपकी जीवनी भरी हुई है।
गुरुदेव ! अर्धशताब्दी के शुभ अवसर पर यह पुष्पाञ्जलि समर्पित करता हुआ यही चाहता हूँ कि मुझे भी ऐसी शक्ति प्राप्त हो कि मैं भी आपके संदेश को विश्व में पहुंचाने में योगदान दे सकूँ।