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गुरुगुणाष्टक और स्मरणाञ्जलि । सूरि तुम तपस्वियों के बीच, 'हेम' के तेज-पुञ्ज-आनन्द ।
जगत् के अन्धकार को चीर, बिछाया सत्-पथ पर मकरन्द ॥
कि उद्गत कोटि-कोटि उद्दार ॥ तुम्हें....
जीत ले निखिल जैनाकाश, तुम्हारी यश-गाथा अक्षुण्य । मधुर-तम अन्तिम के उपदेश, जगाएँ सुप्त-हृदय के पुण्य ॥
कोटि कळ-कण्ठों की गुञ्जार ॥ तुम्हें ...