SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 778
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साहित्य संत-साहित्य के निर्माण में जैन हिन्दी-कवियों का योगदान । ६६९ किया गया है वह उनके अनुसार केवल एक रूपक मात्र है जिसका स्पष्टीकरण ‘घट रामायन ' द्वारा किया जाता है । वे कहते हैं घट में सुरति सैल जस कीन्हा। काग भुशुंड भाखि तस दीन्हा॥ काग भुशुंड कितहुं नहिं भयेऊ । तुलसी सुरति सैल तन कहेऊ ॥ काग भुशुंड काया के मांही। राम रमा मुख पैठा जाई ॥ तुलसी ताकी गति मति जानी। रामायन में कीन्ह वखानी॥ सरजू सुरति अवध दसद्वारा । ये घट भीतर देखि निहारा ॥ रावन कुम्भ लंकपति राई । त्रिकुटी ब्रह्म वसै तेहि माही ॥ रावन ब्रह्म कहा हम जोई । त्रिकुटी लंक ब्रह्म है सोई ॥ मन्दोदरी भभीषन भाई । इन्द्रजीत सुत त्रिकुटी मांही ।। xx रावन राम सकल परिवारा । ये घट भीतर चुनि चुनि मारा ॥' जिससे जान पड़ता है कि वे किसी राजयोग की साधना की चर्चा कर रहे हैं। उनके यहां 'रामायण' के कई पात्र केवल 'मन' के विविध रूप दर्शाते भी समझ पड़ते हैं। अतएव 'घट रामायण' में जहां रामायण की कथा 'सुरति सैल' के आधार पर बतलाई गई है वहां बनारसीदास के उक्त पद में वह केवल ' विवहारदृष्टि ' से ही देदी गई है। बनारसीदास के एक समकालीन जैनकवि रूपचन्द थे। जो आगरे में रहा करते थे, आदि। जिन्हें वे एक बहुत बड़ा विद्वान् भी समझते थे। रूपचंद कवि की एक रचना ‘परमार्थी दोहाशतक' नाम से उपलब्ध है, जिसके कई दोहे पूर्वोल्लिखित अपभ्रंश दोहों के समान हैं और इनमें भी हमें अधिकतर वे ही विषय मिलते हैं जो संत-साहित्य के अंतर्गत भी पाये जाते हैं । रूपचंद कवि के दो दोहे इस प्रकार हैं चेतन चित परिचय विना, जप तप सबै निरस्थ । कन विन तुस जिमि फटकतै आवै कछु न हत्थ ॥ भ्रम ते भुल्यौ अपनपौ, खोजत किन घट मांहि । विसरी वस्तु न कर चहै, जो देखे घट चाहि ॥ १. 'घट रामायण' वे. प्रेस, प्रयाग (सन् १९३२ ई० ) पृ. ४२-३ व २१४-५ । २. कामताप्रसाद जैन : हिंदी जैन साहित्य का इतिहास ( काशी १९४७), पृ. १०७ ।
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy