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. गुरुगुणाष्टक और स्मरणाञ्जलि ।
इन सब से उपर आप में जो एक अनुपम शक्ति थी। वागेश्वरी में आप की जो शुद्धतम अनुरक्ति थी। लिख ग्रन्थ इकसठ विज्ञतामय सिद्ध उसको कर दिया । राजेन्द्रने रच कोश उसको विश्वविश्रुत कर दिया ॥
उस साधु, योगी, ज्योतिषी, स्वरज्ञानधारी आर्य को, वर विज्ञ, कोविद, बुद्धिशाली, तपोधन आचार्य को, शुचि सत्य-धन, जिनदूत, शुभ संघर्षमूर्त वरार्य को, शत वार वंदन आज उसको और उसके कार्य को ।।