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________________ तीर्थ - मंदिर वर्तमान लक्ष्मणी यह तो अनुभवसिद्ध बात है कि जहां जैसी हवा एवं जैसा खानपान व वातावरण होता है वहां रहनेवाले का स्वास्थ्य भी वैसा ही रहता है । आज के वैद्य एवं डाक्टरों का भी अभिप्राय है कि जहां का हवा पानी एवं बातावरण शुद्ध होगा वहां पर रहनेवाले व्यक्ति प्रफुल्लित रहेंगे । तीर्थक्षेत्र श्रीलक्ष्मणीजी । ६०१ लक्ष्मणी, यद्यपि पहाड़ी पर नहीं है तथापि वहां की हवा इतनी मधुर एवं सुहावनी लगती है कि वहां से हटने का दिल ही नहीं होता। वहां का पानी इतना पाचनशक्तिवाला है कि वहां पर रहनेवालों का स्वास्थ्य अत्यंत सुंदर रहता है । इस समय तीर्थ की स्थिति बहुत अच्छी है । दर्शनार्थ आने के लिये दाहोद स्टेशन से मोटर द्वारा आलीराजपुर आना पड़ता है; वहां पर हरएक प्रकार की यात्रियों को सुविधा प्राप्त है | बैलगाड़ी अथवा मोटर द्वारा आलीराजपुर से लक्ष्मणी जाना पड़ता है | वहां पर मुनिमजी रहते हैं । यात्रियों को रहने के लिये कमरे, रसोई बनाने के लिये बर्तन और सोने बैठने के लिये बिछौने आदि की सुविधायें पीढी की ओर से दी जाती है । लक्ष्मणीतीर्थ का उद्धार आचार्य श्रीमद्विजयतीन्द्रसूरीश्वरजी के संपूर्ण प्रयत्नों से ही संपन्न हुआ और यह एक ऐतिहासिक चीज बन गई है ।
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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