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________________ प्राचीन जैन साहित्य में मुद्रा संबंधी तथ्य (विवरण) उमाकान्त पी. शाह, बडौदा डा. जे. सी. जैन ने जैन साहित्य से कुछ मुद्रासंबंधी तथ्यों का संग्रह किया है। यहाँ प्रयत्न किया गया है कि उन्हीं पर पुनर्विचार एवं जैन साहित्य के आधार पर कुछ और वृद्धि की जाय । जिस माध्यमसे हमें ये तथ्य प्राप्त होते हैं उन्हीं के संभावित काल के अनुसार हम इन तथ्यों का क्रम स्थापित कर सकते हैं, अथवा उन सूत्रों में वर्णित सिक्कों की प्राचीनता के आधार-अनुसार भी यह किया जा सकता है। यहाँ हम अपने प्रमाणों का विवेचन संभावित प्राप्त सामग्री के काल के अनुसार ही करेंगे। जैनों के सूत्रग्रंथ अथवा • आगम' जिनको परंपरा से स्वयं महावीर के निज शिष्यों द्वारा कृत माना जाता है, जो विभिन्न परिषदों में रूप ग्रहण करने के बाद ही हम तक पहुँचते हैं। अन्तिम परिषद 'वलभी' में v. S. 510 -453 A, D, में हुई थी। यह अन्तिम बार का संस्करण उससे पूर्व C. 300-313 A. D. में मथुरा में हुई परिषद पर ही अधिकतर आधारित है और उसका विवेचनात्मक अध्ययन करने पर मालूम होता है कि उसमें अति प्राचीन अंशों के साथ ही कुशाण एवं प्रारम्भिक गुप्तकाल के सांस्कृतिक तत्वों का भी अधिकता से सम्मिश्रण हुआ है। उदाहरणार्थ · नायाधम्मकहाओ' (Naysdhammakahio) और ' रायपसेणीय-सुत्त ' ( Rayapaseniya-sutta ) में प्राप्त एक महल का वर्णन:-जिसको सर्वप्रथम प्रकाश में लाने का श्रेय डा० मोतीचन्द को है । परन्तु इस अंतिम परिषदके संस्करणों के रूपोंपर भी न उनके विवेचनात्मक संस्करण ही कहीं उपलब्ध हो रहे हैं; अतः एव उपयुक्त होगा कि आगमों के मूलपाठों का उपयोग सावधानी एवं विवेक के साथ करना ही समुचित होगा। कुशाण और गुप्त काल में पश्चिमी राष्ट्रों के साथ भारत के निर्यात व्यापार में बहुत प्रगति हुई जिसके फलस्वरूप रोम साम्राज्य से भारत को भारी मात्रा में सोना जाने के संबंध में स्पिनी को तो विलाप (हार्दिक खेद) करना पड़ा। रोम का 'देनारियस' ( denarius ) भारत के बाजारों में अधिकाधिक प्राप्त होने लगा था और संभवतः सरकारी खजाने १. डा. जे. सी. जैन, Life in Ancient India as depicted in the Jaina canons (Bombay, 1947 ) p. 120. (६८)
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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