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________________ ५२२ श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-ग्रंथ जैनधर्म की प्राचीनता भौगेषणा से युक्त था। आर्यों के अदम्य साहस की अभिव्यक्ति तथा सिद्धान्तों की अनुक्रमणिका इस प्रकार बताई जा सकती है:(१) " स्वर्गकामो यजेत पशुमालम्मेत " ( ऋग्वेद )-स्वर्ग का इच्छुक यज्ञ करे और पशुवध करे। (२) “ उपसर्व मातरम् भूमिम् " ( ऋग्वेद १०-१९-१ )-मातृभूमि की सेवा करो। (३) " माताभूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्या " ( अथर्वेद १२-१-१२ )-यह भूमि मेरी माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ। (४) “ यत्ते महि स्वराज्ये " ( ऋग्वेद ५-६६-६.)-स्वराज्य के लिए प्रयत्नशील रहें । (५) " कृतं में दक्षिणे हस्ते जयो में सत्य अहितं " ( अथर्व ) पुरुषार्थ मेरे दक्षिण हस्त में और जय बायें हाथ में । (६) " शत हस्त समादर सहस्र हस्त संकिर" ( अ. ३-२४-५)-" सैकड़ों हाथों से इकट्ठा करो और हजारों हाथों से बांट दो ।" इन मंत्रों से बाहर से आये हुए आर्यों की जिन्दादिली प्रकट हो रही है। और मालूम हो रहा है कि आर्य कहीं बाहर से इधर आये हैं। और उनके मन में महत्वाकांक्षाएं लहरें ले रही हैं। इनके मुख्य विश्वास व्रात्यों से एकदम भिन्न थे जैसे-ना पुत्रस्य लोकोऽस्ति । (एतरेय ब्राह्मण ७-१३) आयों में ऋषि और ब्रायों में मुनि शब्द का प्रयोग वैदिक और प्राग्वैदिक दोनों विचारधाराओं को स्पष्ट कर देता है । ऋषि कोई आश्रम नहीं है और न ही कोई उनमें व्यवस्थात्मक धर्म-प्रन्थ है । और न ही कोई ऋषियों के संघ पर नियम-उपनियम शासन कर रहे हैं । किन्तु मुनि श्रमण शब्द का पर्याय है। मुनि का जो आदर्श व्रात्यपरम्परा में उपलब्ध होता है उसका वेद में किसी भी जगह उल्लेख तक प्राप्त नहीं होता। हाँ, उपनिषद, पुराण आदि स्मृतियों के युग में मुनि शब्द वात्यों से पकड़ लिया गया और उसका विधान साक्षात व्रात्यों की ही परम्परा से लिया गया है । वृहदारण्योपनिषद् में पुत्र के बिना कल्याण असंभव है । स्वर्ग के सम्बन्ध में आर्यों की मान्यता थी कि " एक तेज घोड़ा हजार दिनों में जितना चलता है उतनी ही दूर यहां से स्वर्ग है।" " सहस्रावीने वा इतः स्वर्गो लोकः " ( ऐतरेय ब्राह्मण २-१७ )
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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