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________________ तीर्थङ्कर और उसकी विशेषतायें लक्ष्मीचन्द्र जैन ' सरोज' रतलाम तीर्थङ्कर का अर्थ जैनधर्म के प्रचारकों को तीर्थंकर कहा जाता है, जिनको उस तीर्थकरनामकर्म की प्रकृति से अरहन्तपद प्राप्त होता है और जो जैनकर्मवाद के दृष्टिकोण में सर्वोपरिपुण्यप्रकृति है । तीर्थंकर का अर्थ है- जो तीर्थ को करे ' अर्थात् जो धर्मरूपी तीर्थ का विस्तार करते हैं अथवा धर्म के चक्र का पुनरावर्तन करते हैं वे तीर्थकर हैं। उपर की पंक्तियों में जिस तीर्थ शब्द की बात कही गई है उसे कुछ विशेष समझ लेना आवश्यक है। तृ धातु से थ प्रत्यय सम्बद्ध होकर तीर्थ शब्द बनता है । तीर्थ का सरल अर्थ है-'जिस के द्वारा तरा जाय ।' इस शब्दार्थ को ग्रहण करने से तीर्थ शब्द के अनेक अर्थ हो जाते हैं। उदाहरण के लिये देव-शास्त्र-गुरु, पवित्र धर्म, पवित्र कर्म, पवित्र स्थान आदि परन्तु फिर भी पूर्व के अर्थ की मान्यता में, जो तीर्थ या तीर्थकर के अर्थ के सम्बन्ध में है, कोई बाधा नहीं आती है। इस तीर्थ के शब्दार्थ से पूर्वोक्त तीर्थंकर के शब्दार्थ का समन्वय इस प्रकार होगा। जो देव-शास्त्र, पवित्र धर्म-कर्म-स्थान इत्यादि तीर्थों के आधारभूत प्रयोजन हैं वे तीर्थंकर हैं अथवा जो देव-शास्त्र-गुरु, पवित्र धर्म-कर्म-स्थान आदि तीर्थों को, करते हैं तीर्थकर हैं। तीर्थकर शब्द का एक अर्थ और भी हो सकता है । तीर्थ का अर्थ है-'सलिल' तीर्थ के अर्थ से तीर्थंकर के अर्थ का सामञ्जस्य इस प्रकार होगा। जो अपने जीवन में अनेकानेक जीवों के लिये, उनके उद्धार के अर्थ कल्याणमयी भावना से प्रेरित हो धर्मरूपी तीर्थ या सलिल की धारा प्रवाहित करते हैं वे तीर्थकर हैं। *तीर्थङ्कर प्रकृति का प्रभाव पहले कहा जा चुका है कि तीर्थकरनामकर्म की प्रकृति से तीर्थंकर होते हैं जो पुण्य. प्रकृतियों में सर्वोपरि और सर्वश्रेष्ठ है। पुण्यप्रकृति तीर्थंकर के बन्ध के कारण अन्य तदनु * गतिजातिशरीराङ्गोपांगनिर्माणबन्धनसंघातसंस्थानसंहननस्पर्शरसगन्धवर्णानुपूर्व्यागुरुलघूपघातपराघातातपोद्योतोच्छवासविहायोगतयः प्रत्येकशरीरत्रससुभगसुस्वरशूभसूक्ष्मपर्याप्तिस्थिरादेयशःकीर्तिसेतराणि तीर्थकरत्वं च । ये नामकर्म की ९३ प्रकृतियां हैं और उनमें अन्तिम तीर्थकरप्रकृति है ।
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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