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________________ संस्कृति विशिष्ट योगविद्या । सजीव हो या अजीव उसको रागवश या द्वेष-वश हो कर लेना स्तेय-तस्कर वृत्ति है ! धन यह मनुष्यों का बाह्य प्राण है, अतएव उसे उसके स्वामी की आज्ञा के विना लेना प्रत्यक्ष रूप से हिंसा है। (४) ब्रह्मचर्य:-" मैथुनमब्रह्मः " मैथुनवृत्ति को अब्रह्म कहते हैं। याने कामवासनामय प्रवृत्तियों में प्रवर्तमान रहना अब्रह्म है और कामवासना की कुप्रवृत्तियों से त्रिकरण-त्रियोगतः परे रहना ब्रह्मचर्य है । श्रीसूत्रकृतांग सूत्र में कहा है कि ____ " तवेसु उत्तमं बम्भचेरं" तपों में उत्तम ब्रह्मचर्य है। श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र में ब्रह्मचर्य का महत्व दिखलाते हुये कहा गया है कि-" ब्रह्मचर्य का श्रेष्ठ प्रकार से परिपालन करने से शील, तप, विनय, संयम, क्षमा, निर्लोभता और गुप्ति इन सब की आराधना सुलभ बनजाती है । ब्रह्मचारी को इस लोक में और परलोक में यश-कीर्ति और लोक में विश्वासपात्रता मिलती है। (५) अपरिग्रहः-( अकिंचनता ) मूर्छा परिग्रहः । संसार के समस्त लौकिक पदार्थों में मूछी-आसक्ति भाव रखना परिग्रह है । फिर वह भले अल्प हो या बहुत, सचित्त हो या अचित्त, अल्पमूल्य हो या बहुमूल्य । इन का संग्रह परिग्रह है। परिग्रह का त्याग अनासक्ति भाव से करना और उसकी फिर कभी त्रिकरण-त्रियोग से चाहना नहीं करना अपरिग्रह व्रत है । श्रीवीतराग-प्रवचन में परिग्रहवृति (संग्रहवृति) को आत्मा के लिये अत्यन्त घातक कहा गया है। जब से परिप्रवृत्ति पोषित होती है, तभी से आत्मा का अधःपतन प्रारंभ हो जाता है और अपरिपहवृत्ति आत्मा को तृष्णा पर विजयी बना कर उन्नत बनाती है । जैनागमों में उक्त पांचों महाव्रतों की पांच पांच भावना कही गई हैं, जो महाव्रत पालक को अवश्य आदरणीय हैं। १ इर्यासमिति, मनोगुप्ती, वचनगुप्ती, आलोकित भोजन पान और आदानभण्डमात्रनिक्षेपन समिति, ये पांच भावनाएँ प्रथम ( अहिंसा ) महाव्रत की हैं। ७-जम्मि य आराहियम्मि आराहियं वयमिणं सम्बं सीलं तवो य विणओ य संजमो य खंती मुत्ती गुत्ती तहेव य इहलोइय परलोइय जसे य किती य पचओ या ८ इरियासमिई। मणगुत्ती, वयगुत्ती आलोयभायणभोयणं आयाणभण्डमत्तनिक्खेवणा समिई।
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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