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________________ अखिल भारतवर्षीय प्रतिनिधि प्रथम सम्मेलन, बडनगर में सर्वानुमति से स्मारक-ग्रन्थ के समस्त लेखों का अवलोकन कर जाने के लिये मुनिश्री कल्याण विजयजी वैयाकरणी, इन्दौरनिवासी पं. जुहारमलजी न्याय-काव्यतीर्थ, मन्दसोरम निवासी पं० मदनलालजी जोशी शास्त्री, साहित्यरत्न तथा राजमलजी लोढा साहित्यभूषण, जैन साहित्यरत्न, इन चारों सदस्यों का एक संशोधक-मंडल कायम किया। इन सरस्योंने मेरे समक्ष प्रस्तुत सभी लेखों का वांचन और अवलोकन कर के समाज के प्रति जो प्रेम प्रदर्शित किया है, उसके लिये उनको भी अभिनन्दनपूर्वक धन्यवाद दिया जाता है। ___ ग्रन्थ का कलेवर जो इतना सुंदर, आकपक और प्रशंसनीय बन सका है, उस में प्रसिद्ध विद्वान् श्रीयुत् अगरचंदजी नाहटा और श्रीयुत् दलसुखभाई मालवणियाजी का पूरा-पूरा सहयोग रहा हुआ है, इनके श्रम का जितना धन्यवाद दिया एवं अभिनंदन किया जाय उतना न्यून ही है। संपादक-मंडल का यह स्तुत्य कार्य सच्चे श्रम का एक चिर प्रतीक रहेगा। सम्पादक-मंडल का भी हम साधुवाद के साथ अभिनंदन करते हैं। अखिल भारतवर्षीय श्री जैन श्वेताम्बर सनातनत्रिस्तुतिक संघ भी साधुवाद का पात्र है-जिसने अपने स्वर्गीय गुरुदेव के नाम उन के कार्य के अनुरूप ही विशाल अर्धशताब्दी महोत्सव समायोजित किया और उन के स्मारक का यद वृहद ग्रन्थ प्रकाशित करा कर प्रसिद्ध किया! अंत में विद्वानों के लेख लाना, मंगाना और स्मारक-ग्रंथ को छपाने में दौलतसिंहजी लोढ़ाने जो एक श्रमशील योग दिया है, उनकी कर्तव्यपरायणता 1 पर एवं इस सफलता पर मैं मुग्ध हो कर उनको हार्दिक संतोष के साथ शुभाशीर्वाद देता हूँ। शमित्यलम् । श्रीविजय यतीन्द्रसूरि । खाचरोद, गुरुसप्तमी संवत् २०१३, SAGAtarpardGARUGwanes
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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