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கழிக
धन्यवाद और अभिनन्दन ।
श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वर-जयन्ती दिवस विक्रम संवत् २०११ पौष शुक्ला ७ शनिवार को आहोर ( राजस्थान) में भारी समारोह के साथ मनाया गया था । उसी अवसर पर गुरुदेव का दिवंगत अर्धशताब्दी महोत्सव मनाने के सम्बंध में विचार-विमर्श, प्रवचन, प्रस्ताव आदि हुये और दूसरे ही दिन आहोर, बागरा संघ के प्रतिष्ठित सद्गृहस्थों के द्वारा निश्चित हो कर महोत्सव और गुरुदेव का स्मारक -ग्रन्थ शानदार प्रकाशित कराने का प्रस्ताव पास हुआ । इस कार्य को संपन्न करने के लिये अर्धशताब्दी तक विद्वानों से लेख मंगवा कर संपादित करने का कार्यभार श्रीदौलतसिंहजी लोढ़ा बी. ए, को सौंपा गया। लोढ़ाजीने इस कार्य को भली भाँति सम्पन्न करने के लिये खुद के सहित विद्वान् सम्पादक - मंडल बनाया । सम्पादक- मण्डल के विद्वान् सदस्यों की तत्परता और कर्मठता से यह कार्य सम्पन्न हो कर आज हमारे सामने प्रस्तुत है ।
लगभग १०१ छोटे-बड़े लेखों का जो इस स्मारक ग्रन्थ में स्तुत्य संकलन हुआ है और लेखों में अधिकांश लेख भारत प्रसिद्ध विद्वानों के हैं यह संपादकमंडल के श्रम का स्पष्ट द्योतक है। कई लेख तो ऐसे हैं जिनको लिखने में उनके लेखकों को बड़ा श्रम और समय लगाना पड़ा है। सचमुच ग्रन्थ दिवंगत आत्मा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के कीर्तिनाम के अनुरूप ही बन सका है । यह सब मुनिश्री विद्याविजयजी के प्रयत्न और तत्परतापूर्ण श्रम के स्वरूप है, जो कई दिनों तक प्रगतिशील रह कर आज इस ग्रन्थ के रूप में मूर्तित हुआ है ।
स्मारक -ग्रन्थ का संपादन और प्रकाशन के लिये सर्व प्रथम बागरा श्री संघने रू. ११००१) और आहोर श्रीसंघने रू. १०००१) का स्तुत्य दान दिया है जो एक मात्र मुनिश्री विद्याविजयजी के प्रयत्न का ही सुफल है । इसलिये मुनिश्री विद्याविजयजी और बागरा तथा आहोर का श्रीसंघ अत्यंत साधुवाद के पात्र हैं । इसी प्रकार हमारे विद्वान् मुनिमंडलते संपादक-मंडल को उपयुक्त लेख - सामग्री जुटाने में सराहनीय योग दिया - दिलाया है यह मुझ से अज्ञात नहीं है । अतः उन को भी हार्दिक धन्यवाद है ।
பசுக
anan