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संस्कृति
अपरिग्रह । निरन्तर अनिष्ट चिन्तन में ही समय जाता है। १ सेकण्ड भी शान्ति नहीं। दैवयोग से जिसके ऊपर क्रोध किया था उस का किसी के द्वारा पराभव हो जावे, तब फूल कर कुप्पा हो जावे और जिसने उस का अनिष्ट किया उस को कोटिशः धन्यवाद देता है कि महाशय ! धन्य है आप को जो ऐसे कण्टकसे उद्धार किया। वह बहुत ही लुच्चा था । आप जैसे पुरुष न होते तो जगत् चैन की निद्रा न ले सकता । दैवयोग से कोई भी उस का विरोधी न हो, तब आप स्वयं घात कर मृत्यु का भागी बन जाता है । क्रोध कषाय के उदय में जीव की ऐसी दुर्दशा होती है । ( इति क्रोध परिग्रह ) अब मान कषाय की कथा सुनिये
मान कषाय के उदय में अपने को उच्चतम मानने की इच्छा होती है । साथ ही अन्य को अपने से लघु मानने की इच्छा रहती है । यदि कोई अपने से महान् हुवा, तब उस के सद्गुणों में भी वह नाना प्रकार के मिथ्या दोष निकालने का प्रयत्न करता है । यदि इस समय कोई कहे कि तुम इतने महान् हो कर क्यों अन्य में मिथ्यादोषों का आरोप करते हो, अभी तो तुम उस के अंश को भी नहीं पाते; यदि वह चाहे तो तुम्हारे सदृश मनुष्यों को मोल ले सकता है, अभी तक उसने जो दान किया है तुम्हारे पास तो अभी उस की अपेक्षा कुछ भी नही है । इत्यादि । इस को श्रवण कर महान दुःखी होता है । बड़े प्रयत्नों से जो सञ्चय धन का किया था उसे एकदम जोश में आकर दान दे देता है । दानानन्तर संक्लेश हो उस का कुछ भी विचार नहीं । इसी प्रकार अन्य कार्यों में भी जान लेना।
यदि किसीने बेला किया, तब आप, उस से मेरी प्रतिष्ठा अधिक हो, तेलादि उपवास कर बैठता है । चाहे अनन्तर क्लेश हो-उसकी परवाह नहीं ।
कारण इसका यह है कि जो मान कषाय के उदय में अपने को सर्वोपरि मानने की इच्छा रहती है उस की पूर्ति न होने से आमरणान्त कष्ट पाना स्वीकार होता है। परन्तु माम कषाय को नहीं छोड़ता। एक छात्र था। बहुत ही विद्वान् था; परन्तु अन्य को तुच्छ गिनता था । प्रत्येक के साथ शास्त्रार्थ कर उसे तिरस्कृत कर वह अपने को महान् गिनता था। उसके अध्यापक गुरूने उस को बहुत समझाया कि ऐसा करने से एक दिन बहुत ही क्लेश उठाना पड़ेगा। यदि कोई अधिक विद्वान् आगया और उसके द्वारा पराजय हो गया, तव क्या दशा तुम्हारी होगी। तब वह गुरुजी से बोला कि आप गुरु हैं, उस से मैं लोकलज्जावश संकोच करता हूं तथा आप से अध्ययन किया है-इससे भय करता हूं। कौन जगत में ऐसा है जो मेरे समक्ष ठहर सके ! एक बार बृहस्पति से भी शास्त्रार्थ कर सकता हूं ।