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प्रधान सम्पादकीय
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साहित्य, वेद, पुराण, कोष के साथ-साथ इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका, आदि महत्वपूर्ण सन्दर्भ ग्रंथों का विशाल संग्रह है। पुस्तकालय में अनेक प्रकार के प्राचीन जर्नलों का भी संग्रह है। पुस्तकालय में पुस्तकों की कुल संख्या लगभग 17,000 है।
संस्थान में श्रीमती हीरा कुमारी, कलकत्ता ने अपना 804 पुस्तकों का निजी संग्रह दानस्वरूप प्रदान किया था, जिसे उन्हीं के नाम से संस्थान पुस्तकालय में रखा गया है। अन्य जो महानुभाव और संस्थाएँ अपना संग्रह दानस्वरूप संस्थान को देना चाहेंगे, संस्थान उसे आभारपूर्वक स्वीकार करेगा तथा पुस्तकालय में उन्हीं के नाम से संरक्षित करेगा। इस दिशा में डॉ. हीरालाल जैन के निजी संग्रह को प्राप्त करने हेतु संवाद जारी है। उनके परिजन संस्थान को डॉ. जैन का ग्रंथालय सुपुर्द करने का विचार कर रहे हैं।
संस्थान के अध्येता प्रतिष्ठित विद्वानों में डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, डॉ. के.आर. चन्द्र, डॉ. योगेन्द्र चन्द्र सिकदर, डॉ. योगेन्द्र प्रसाद सिन्हा, डॉ. राजाराम जैन, डॉ. प्रेम सुमन जैन, डॉ. गोकुल चन्द्र जैन, डॉ. विमल प्रकाश जैन, डॉ. विधाता मिश्र, डॉ. दामोदर शास्त्री, डॉ. राम प्रकाश पोद्दार, डॉ. नागेन्द्र प्रसाद सिन्हा, डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव, डॉ. रामजी राय, पं. पद्मचन्द जैन, डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र, डॉ. डी.पी. श्रीवास्तव, डॉ. छगन लाल शास्त्री, डॉ. राय अश्विनी कुमार आदि विद्वानों ने संस्थान में अध्ययन कर अर्जित ज्ञान से देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं अन्य सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों में अपनी सेवा देकर संस्थान का गौरव बढ़ाया है इतना ही नहीं, डॉ. राजाराम जैन, डॉ. गोकुलचन्द्र जैन एवं डॉ. प्रेम सुमन जैन ने प्राकृत भाषा और साहित्य के क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए राष्ट्रपति सम्मान भी प्राप्त किया है, जो संस्थान के लिए विशेष रूप से गौरवपूर्ण है।
सर्वप्रथम संस्थान के संस्थापक निदेशक प्राच्य भाषाओं के मनीषी डॉ. हीरालाल जैन नियुक्त हुए थे, उन्होंने पाँ वर्षों तक संस्थान के कार्यों को सुचारु रूप ससे संचालित किया। तत्पश्चात् 12 वर्षों तक पालि एवं प्राकृत के प्रतिष्ठित विद्वान डॉ. नथमल टाटिया ने निदेशक का दायित्व निभाया। उसके बाद डॉ. गुलाबचन्द्र चौधरी, डॉ. नागेन्द्र प्रसाद, डॉ. राम प्रकाश पोद्दार, डॉ; देव नारायण शर्मा, डॉ. लालचन्द्र जैन, डॉ. युगलकिशोर मिश्र आदि विद्वानों ने संस्थान के निदेशक का पदभार सम्भाला। संस्थान के प्रतिष्ठित प्राध्यापकों में डॉ. सत्करी मुखर्जी, डॉ. जगदीश चन्द्र जैन, डॉ. अनन्त लाल ठाकुर, डॉ. छगन लाल शास्त्री, डॉ. ओम प्रकाश शरण आदि विद्वानों के नाम उल्लेखनीय हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि संस्थान के दो विद्वान निदेशकों - डॉ. लालचन्द्र जैन एवं डॉ. ऋषभचन्द्र जैन को शौरसेनी प्राकृत भाषा और साहित्य विषयक "आचार्य विद्यानन्द पुरस्कार" प्रदान किया गया तथा डॉ. लालचन्द्र जैन को "विद्वत्रत्न" एवं डॉ. ऋषभचन्द्र जैन को "प्राकृत भाषा विशारद्" की मानद उपाधि से 15 जनवरी, 2004 को नई दिल्ली में सम्मानित किया गया। इस प्रकार प्राकृत भाषा और जैन साहित्य के क्षेत्र में प्राकृत जैनशास्त्र
और अहिंसा शोध संस्थान अपने स्थापना काल से अनवरत जैनधर्म एवं संस्कृति की सेवा में समर्पित है।
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