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स्वर्ण-जयन्ती गौरव-ग्रन्थ
प्रस्तुत ग्रंथ में संस्थान के इतिहास, प्राकृत भाषा और साहित्य, जैन दर्शन तथा जैन साहित्य से सम्बन्धित 53 शोध निबन्धों/आलेखों का संग्रह किया गया है जिनमें प्राकृत भाषा की प्राचीनता और जैन संस्कृति के इतिहास पर विस्तार से विचार हुआ है। मुझे विश्वास है कि यह सामग्री शोध जगत् के लिए उपयोगी साबित होगी। एतदर्थ मैं विद्वान लेखकों का कृतज्ञ हूँ। ग्रन्थ संयोजन में सर्वश्री प्रमोद कुमार चौधरी, दिवाकर झा और विजय कुमार सिन्हा के सहयोग हेतु उन्हें धन्यवाद देता हूँ। अन्य जिन विद्वानों ने समय-असमय, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में मार्गदर्शन किया है, उन सभी का हृदय से आभारी हूँ। आकर्षक मुद्रण के लिए इम्प्रेशन पब्लिकेशन, पटना के संचालक श्री राकेश रंजन धन्यवादाह हैं। चैत्र शुक्ल त्रयोदशी
ऋषभचन्द्र जैन 28 मार्च, 2010
निदेशक
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