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________________ प्राकत-भाषा की प्राचीनता एवं सार्वजनीमता प्राकृत-संजीवनी . 11. प्राकृत-कामधेनु प्राकृत-व्याकरण प्राकृत-व्याकरण-वृत्ति प्राकृत-प्रक्रिया-वृत्ति (दुटिका) प्राकृत-बोध प्राकृत-कल्पतरु प्राकृत-चन्द्रिका प्राकृत-मनोरमा प्राकृत-रूपावतार प्राकृत-दीपिका प्राकृत-मंजरी वसन्तराज (इसका उल्लेख मार्कण्डेय कृत प्राकृत सर्वस्व में उपलब्ध है।) (अनुपलब्ध) लंकेश्वर (अनुपलब्ध) समन्तभद्र (अनुपलब्ध) त्रिविक्रमदेव (1300 ई.) प्रकाशित। उदयसौभाग्य (अनुपलब्ध) नरचन्द्र (अनुपलब्ध) राम शर्मा तर्कवागीश (17वीं सदी) प्रकाशित। वामनाचार्य (अनुपलब्ध) भामह (लगभग 7वीं सदी) (इसका उल्लेख महाकवि भामह के प्राकृत-सर्वस्व में उपलब्ध है।) (अनुपलब्ध) सिंहराज (अनुपलब्ध) चण्डीश्वर शर्मा (अनुपलब्ध) कात्यायन (7वीं सदी ई. के लगभग) (अनुपलब्ध) मार्कण्डेय (17वीं सदी) प्रकाशित। रघुनाथ शर्मा (अनुपलब्ध) आचार्य हेमचन्द्र (13वीं सदी) प्रकाशित नरसिंह (अनुपलब्ध) चिन्नवोम्मभूपाल (अनुपलब्ध) अप्पयण्णवन (अनुपलब्ध) - (अनुपलब्ध) - (अनुपलब्ध) - (अनुपलब्ध) स्वयम्भू-अपभ्रंश के आद्य महाकवि (आठवीं सदी) (अनुपलब्ध) लक्ष्मीधर (अनुपलब्ध) भामकवि (अनुपलब्ध) - (अनुपलब्ध) दुर्गाचार्य (अनुपलब्ध) क्रमदीश्वर (अनुपलब्ध) प्राकृत-सर्वस्व प्राकृतानन्द सिद्ध-हैम-व्याकरण प्राकृत-प्रदीपिका प्राकृत-मणि-दीपिका प्राकृत-मणि-दीप षड्भाषा-मंजरी प्राकृत-साहित्य-रत्नाकर षड्भाषा वार्तिक स्वयम्भू-प्राकृत-व्याकरण 26. 27. 28. 29. 30. षड्भाषा-चन्द्रिका षड्भाषा-चन्द्रिका षड्भाषा-सुवन्तादर्श षड्भाषा-रूपमालिका संक्षिप्तसार-प्राकृतपाद (संस्कृत-व्याकरण के अंतर्गत) 32. 33. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012064
Book TitlePrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali Swarna Jayanti Gaurav Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali
Publication Year2010
Total Pages520
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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