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________________ सम्पादक : वर्ष 2000 के 'आचार्य विद्यानन्द पुरस्कार' से सम्मानित मनीषी जैन विश्वभारती लाडनूं (मानित विश्वविद्यालय) में अध्यापन कार्य प्रारम्भ कर आप प्राकृत जैन शास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान वैशाली (बिहार) में अट्ठाईस वर्षों के अध्यापन कार्य के पश्चात् वहीं से निदेशक के पद से सेवानिवृत हुए। मौलिक ग्रन्थ : जैन दर्शन में आत्म विचार संपादित एवं अनुवादित ग्रन्थ : ● लीलावई कहा तत्त्वसार समयसार प्रो. (डॉ.) लालचन्द जैन का यशस्वी जीवनवृत्त प्राकृत भाषा, जैनदर्शन और जैन साहित्य के क्षेत्र में डॉ. लालचन्द जैन एक बहुश्रुत नाम है। विद्वानों की जननी बुन्देलखण्ड में 3 मई 1944 को स्व. श्री बालचन्द जी के यहाँ जन्मे डा. लालचन्द जैन ने जैन दर्शन एवं साहित्य की शिक्षा स्याद्वाद महाविद्यालय, वाराणसी से प्राप्त की तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि एवं 'जैनदर्शन में आत्मा का स्वरूप : तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन' विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। प्राकृत जैन शास्त्र एवं संस्कृत में स्नातकोत्तर उपाधि के साथ-साथ संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से जैनदर्शनाचार्य की उपाधि भी प्राप्त की। • • Jain Education International • अद्वैतवाद • भारतीय दर्शन में सर्वज्ञता जैनदर्शन के आलोक में H कंसवहो · नय चक्र प्राकृत गद्य-पद्य बन्ध भाग 1-2-3 • जैन वाङ्मय में चम्पापुरी और मन्दारगिरि समणसुक्तं जैन वाङ्मय में शिक्षा के तत्त्व • महावीर विमल देशना (मासिक) जैन सिद्धान्त भास्कर (शोध पत्रिका ) प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान ग्रन्थ माला के प्रधान संपादक प्राकृत, जैन दर्शन एवं साहित्य से सम्बन्धित एक शतक से अधिक शोध निबन्ध आपकी लेखनी से प्रसूत हो चुके हैं तथा राष्ट्रिय स्तर की लगभग अर्धशतक संगोष्ठियों में भाग लेकर आपने महत्त्वपूर्ण आलेख प्रस्तुत किए हैं। प्रो. (डॉ.) विद्यावती जैन ने 'संत कवि देवीदास और उनके अप्रकाशित साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन' विषय पर आपके निर्देशन में डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की। सात शोधार्थियों ने आपके निर्देशन में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की तथा छह छात्र आज भी आपके निर्देशन में शोधकार्यरत हैं। बिहार विश्वविद्यालय-मुजफ्फरपुर, मगध विश्वविद्यालय-बोधगया, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय-उदयपुर, काशी विद्यापीठ-वाराणसी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय-वाराणसी, सर हरिसिंह गौड़ विश्वविद्यालय सागर, वीर कुंवरसिंह विश्वविद्यालय-आरा, वरकतुल्ला विश्वविद्यालय-भोपाल की विभिन्न समितियों के आप सम्मान्य सदस्य हैं। संप्रति उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर (उड़ीसा) में प्राकृत एवं जैन विद्याविभाग के निदेशक एवं देव कुमार जैन प्राच्य शोध संस्थान, आरा के मानद निदेशक हैं। डॉ. लालचन्द जैन की सुदीर्घकालीन शैक्षणिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सेवाओं का मूल्यांकन करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली द्वारा प्रवर्तित शौरसेनी प्राकृतभाषा एवं साहित्य-विषयक 'आचार्य विद्यानन्द पुरस्कार' सिद्धान्तचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज के पावन सान्निध्य में सबहुमान समर्पित करते हुए हम उनके सुदीर्घ सक्रिय जीवन की मंगल कामना करते हैं। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012064
Book TitlePrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali Swarna Jayanti Gaurav Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali
Publication Year2010
Total Pages520
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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