SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 512
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ EL rakakakakakakakakakatalalalalalalallllllllll VERSEEDS 165RSE SCRE BBCCESSES CELEATME V प्रशस्ति-पत्र धम्मेण होदि पुज्जो, विस्ससणिज्जोपि ओजस्सी या सुहसज्झनो य णराणं, धम्मो मणणिव्वुदिक्करो ॥ प्राच्य भारतीय भाषाओं के अध्येता, प्राक़त, जैनदर्शन, जैन साहित्य एवं जैन इतिहास के मनीषी विद्वान, जैन-संस्कृति के प्रचारक-प्रसारक, लेखक समीक्षक प्रो. (डॉ.) लालचन्द जैन भुवनेश्वर, उड़ीसा मला के करकमलों में शौरसेनी प्राकृत भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में उनके समग्न योगदान को सम्मानित करने के लिए तचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मनिराज मंगल आशीर्वाद एवं सत्प्रेरणा से भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली द्वारा प्रवर्तित शौरसेनी-प्राकृत भाषा एवं साहित्य-विषयक आचार्य विद्यानन्द पुरस्कार वर्ष 2000 ई. इक्यावन हजार रुपयों की सम्मान-राशि के साथ सबहुमान समर्पित किया जाता है तथा उन्हें विद्वत्त के मानव विरुद से सादर विभूषित किया जाता है। विनीत साहू रमेशचन्द्र जैन सुरेश चन्द्र जैन प्रबन्धन्यासी मन्त्री भारतीय ज्ञानपीठ कु न्दकुन्द भारती न्यास दिनांक : 15 जनवरी 2004 गुरुवार वीर निर्वाण संवत 2530. समारोह स्थल : केन्द्रिय विद्यालय संगठन सभागर. शहीद जीत सिंह मार्ग, नई दिल्ली- 110016 53nAeER SARAL-555 0 MARE Masupen TRENDIN 0027 काम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012064
Book TitlePrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali Swarna Jayanti Gaurav Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali
Publication Year2010
Total Pages520
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy