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________________ वेदना की गणितीय समतुल्यतादि निश्चलताएँ आइन्स्टाइन का मार्ग अनुभववाद पर आधारित है जबकि क्वांटम सैद्धान्तिकों का मार्ग प्रयोगवाद पर आधारित है जिसे आइन्स्टाइन अपूर्ण प्रणाली रूप मानते हैं। आइन्स्टाइन का मार्ग विश्व संरचना के वृहद्रूप को खोलता है जबकि क्वांटम सैद्धान्तिकों का मार्ग कण विज्ञान के रहस्यों को खोलता है। कोण्डो का मार्ग आइन्स्टाइन और क्वांटम सैद्धान्तिकों से आगे जाकर जीव विज्ञान को भी अपने सिद्धान्त में समन्वित कर देता है। अतः कोण्डो के मार्ग का अनुसरण करने पर भौतिक, रासायनिक एवं जीव विज्ञानादि का एक सूची सिद्धान्त तक पहुंचा जा सकता है और कर्म सिद्धान्त में उसे समन्वित करना लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इसमें भी रूपान्तरणों के समूहों के प्रति निमित्त नियमों में निश्चलता निकाली जाती है, जहाँ ज्यामिति गणित अत्यंत जटिल रूप धारण कर लेती है। जैसे कर्मवृक्ष द्वारा अनेक निरूपण कर्म प्रकृति सम्बंधी दिखाये जाते हैं, उसी प्रकार कोण्डो ने ऐसी ही रचना का आधार कवागुचीवृक्ष बनाकर दर्शायी है। कोण्डो का सिद्धान्त अनुभववाद एवं प्रयोगवाद, दोनों के मिले-जुले वाद रूप है जहाँ निश्चलता का प्राकट्य जरमिलो के प्रतिबन्धों पर आधारित है और जिसका मुखौटा (frame ) कवागुची की उच्चत्तर (परिवर्तन क्रम) के आकाश की ज्यामिति है । आइन्स्टाइन ने अरीमानीय ज्यामिति का मुखौटा अंततः लिया और क्वांटम सैद्धान्तिकों ने हिल्बर्ट स्पेस का मुखौटा लेकर शोध किया। 441 नया अनुष्ठान सन् 1929 में वाइल (Weyl) ने आइन्स्टाइन के एकसूत्री सिद्धान्त में गुरुत्वाकर्षण एवं विद्युच्चुम्बकीय निमित्तों को संयुक्त करने हेतु एक ऐसा मापदण्ड या गैज (gauge ) निर्धारित किया जो कुछ वर्षों बाद मेट्रिक स्केल को गैज या फेज़ ( gauge or phase) की ओर ले गया। इसका आधार लेकर क्वांटम फील्ड सिद्धान्त (Quantum field theory) निर्माण किया गया जो आइन्स्टाइन के सिद्धान्त का अनुगमन था। फेज या गैज को भाव कह सकते हैं तथा मेट्रिक को द्रव्य रूप मान सकते हैं। जहाँ द्रव्य में मात्रा रूप समान्तर श्रेणि में वृद्धि हानि लेता है वहां भाव में वृद्धि हानि गुणोत्तर रूप पाई जाती है। ऐसे क्वांटम निमित्त सिद्धान्त में तीन निमित्त विद्युच्चुम्बकीय, नाभिकीय (प्रबल एवं निर्वल) को एक सूत्रीकृत कर अन्दुस्सलाम, वाइनवर्ग और ग्लेशो ने नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था। यहाँ दो प्रकार का भाव होता है, वैश्वीकृत एवं स्थानीय ( global and local ) इस सिद्धान्त का फाइबर बंडिल ज्यामिति (fibre bundle geometry) होता है। वेदना गणित Jain Education International वेदना कार्य प्रकृति, अन्य प्रकृतियों की भांति ही एक ऐसे कर्म आकाश (Karma-space or functional space) का मुखौटा ग्रहण करती है जिसका विशेष विवरण विटो वोल्टेरा (Veto-Volterra ) के कर्म (functional or action) सिद्धांत पर आधारित प्रतीत हुआ है। एक ही अविभागी समय जब मंदतम और तीव्रतम गति से होने वाले परमाणु विस्थापन द्वारा काल और क्षेत्र में एक नवीन प्रकार की सापेक्षता प्रकट करता है तो कर्म-आकाश (functional space) की ज्यामिति के मुखौटे को ग्रहण करता है। कर्म शब्द के लिए फंक्शनल शब्द तो कृति के लिये फंक्शन (function) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012064
Book TitlePrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali Swarna Jayanti Gaurav Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherPrakrit Jainshastra aur Ahimsa Shodh Samsthan Vaishali
Publication Year2010
Total Pages520
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size13 MB
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